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""यह किताब मेरे पिता की कविताओं का संग्रह है, जो शायद प्रकाशन के लिए लिखी गईं थी। परन्तु उन्की यह इच्छा अधूरी रह गई। यह कविताएँ उनकी सोच और समझ दिखलाती हैं। कुछ केवल मनोरंजन के लिए लिखी गईं हैं, और कुछ मानव स्तिथी पर विचार करने के लिए। कुछ लफ्ज़ उनकी जवानी के किस्से बयाँ करते हैं, और कुछ आने वाले कल का वर्णन करते हैं। आख़िरकार उनके सभी किस्से उनकी सादगी और जिज्ञासा को सामने लाते हैं। मुझे यह कविताएँ पढ़कर बहुत मज़ा भी आया, और गर्व भी हुआ। मैं आशा करती हूँ कि हमारे परिवार के सदस्यों और उनके करीबी मित्रों को भी इन कविताओं को पढ़ने का मौका मिले और वह सब """"डॉक्टर साहिब"""" को ख़ुशी से याद करें।""

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Produktbeschreibung
""यह किताब मेरे पिता की कविताओं का संग्रह है, जो शायद प्रकाशन के लिए लिखी गईं थी। परन्तु उन्की यह इच्छा अधूरी रह गई। यह कविताएँ उनकी सोच और समझ दिखलाती हैं। कुछ केवल मनोरंजन के लिए लिखी गईं हैं, और कुछ मानव स्तिथी पर विचार करने के लिए। कुछ लफ्ज़ उनकी जवानी के किस्से बयाँ करते हैं, और कुछ आने वाले कल का वर्णन करते हैं। आख़िरकार उनके सभी किस्से उनकी सादगी और जिज्ञासा को सामने लाते हैं। मुझे यह कविताएँ पढ़कर बहुत मज़ा भी आया, और गर्व भी हुआ। मैं आशा करती हूँ कि हमारे परिवार के सदस्यों और उनके करीबी मित्रों को भी इन कविताओं को पढ़ने का मौका मिले और वह सब """"डॉक्टर साहिब"""" को ख़ुशी से याद करें।""
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Autorenporträt
""डॉक्टर विनय एक बहुत ही नेक इंसान थे। अपनी बातों से वह सबका दिल लुभाते थे, और सभी को प्यार देते थे। उनमें बहुत सी खूबियाँ थीं, जैसे कि अपने परिवार का ख्याल रखना, मरीज़ों की सेवा करना, अंत तक अपनी धर्मपत्नी का साथ निभाना। उन्हें खाने पीने, और दोस्तों से गप्पे मारने का बहुत शौक था। पर अकेले में शायद वो बहुत सोच-विचार करते थे। इंही विचारों को उन्होंने इन कविताओं के ज़रिये लोगों तक पहुँचाना चाहा। मेरा सौभाग्य है कि मैं उनकी यह इच्छा पूरी कर पा रही हूँ। अनुप्रिया, डॉक्टर विनय की बेटी हैं। अपने पिता की तरह यह डॉक्टर बनीं, और उनकी ही तरह कविताएँ लिखा करती हैं।""