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यह पुस्तक डॉ कुंतल गोयल की तीन कहानी संग्रहों का पुनर्प्रकाशन है, जिसमें उन्होंने 60-70 के दशक में पारिवारिक और सामाजिक विषयों पर कहानियाँ लिखीं हैं। इन कहानियों में नारी विमर्श और सामाजिक चेतना मुख्य केंद्र बिंदु रहे हैं. यह कहानी संग्रह वर्तमान की पारिवारिक- सामाजिक स्थितियों का एक तुलनात्मक बिम्ब भी प्रस्तुत करती है जो 60-70 के दशक में विद्यमान थी।

Produktbeschreibung
यह पुस्तक डॉ कुंतल गोयल की तीन कहानी संग्रहों का पुनर्प्रकाशन है, जिसमें उन्होंने 60-70 के दशक में पारिवारिक और सामाजिक विषयों पर कहानियाँ लिखीं हैं। इन कहानियों में नारी विमर्श और सामाजिक चेतना मुख्य केंद्र बिंदु रहे हैं. यह कहानी संग्रह वर्तमान की पारिवारिक- सामाजिक स्थितियों का एक तुलनात्मक बिम्ब भी प्रस्तुत करती है जो 60-70 के दशक में विद्यमान थी।
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