""इस किताब में, सौरभ चौहान ने दिल्ली के शोर में, रोज़मर्रा की ज़िंदगी की गूंज में, एक ऐसे दुनिया का पर्दा उठाया है जो अक्सर देखी और सुनी नहीं जाती। """"उदासी बोलती है """" में, वह उन नज़्मों के ज़रिए रीडर्स को बुलाता है, जो दबी कुचली बातों का राज़ छुपाते हुए उनकी कहानियों में छिपे हैं। हर नज़्म एक ऐसा झरोका है, जिसमें सामान्य ज़िंदगी की अधूरी कहानियाँ छुपी हुई हैं। ये कहानियाँ उन अधूरे ख्वाबों की मुकम्मल दास्तान हैं। सौरभ चौहान के कलम से निकली हर नज़्म एक अनोखी कहानी है, जहाँ प्यार, जुदाई, पहचान और दोबारा पाने की उम्मीद की धूप-छाँव है। चाय की दुकान के प्याले से लेकर, तंबाकू की धुएं में, हर…mehr
""इस किताब में, सौरभ चौहान ने दिल्ली के शोर में, रोज़मर्रा की ज़िंदगी की गूंज में, एक ऐसे दुनिया का पर्दा उठाया है जो अक्सर देखी और सुनी नहीं जाती। """"उदासी बोलती है """" में, वह उन नज़्मों के ज़रिए रीडर्स को बुलाता है, जो दबी कुचली बातों का राज़ छुपाते हुए उनकी कहानियों में छिपे हैं। हर नज़्म एक ऐसा झरोका है, जिसमें सामान्य ज़िंदगी की अधूरी कहानियाँ छुपी हुई हैं। ये कहानियाँ उन अधूरे ख्वाबों की मुकम्मल दास्तान हैं। सौरभ चौहान के कलम से निकली हर नज़्म एक अनोखी कहानी है, जहाँ प्यार, जुदाई, पहचान और दोबारा पाने की उम्मीद की धूप-छाँव है। चाय की दुकान के प्याले से लेकर, तंबाकू की धुएं में, हर नज़्म अपने अंदाज़ में एक सामाजिक संदेश छुपाती है, जो पढ़ने वाले के दिल को छू जाती है। """"उदासी बोलती है"""" एक नज़्मों का सिलसिला नहीं है, बल्कि ये एक सफर है, जिसमें हर क़दम पर नए रास्ते मिलते हैं, नए सपने देखे जाते हैं और नयी उम्मीदें जगती हैं। सौरभ चौहान के शब्दों से बनी हर कविता एक चमक है, जो पढ़ने वाले की रूह में झाँकती है और उन्हें अपने अंदर की आवाजें सुनने के लिए प्रेरित करती है।""Hinweis: Dieser Artikel kann nur an eine deutsche Lieferadresse ausgeliefert werden.
""सौरभ चौहान, एक दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक, वर्तमान में एमएनसी में काम कर रहे हैं। वे साहित्य पृष्ठभूमि से नहीं हैं, । उन्होंने विभिन्न विषयों पर लिखा है जो मुख्य समाज द्वारा अक्सर अनदेखा किया जाता है, ऐसे विषय जिन्हें लोग चाय की दुकानों पर या सिगरेट पीते समय आमतौर पर चर्चा करते हैं, लेकिन उनका प्रभाव गहरा होता है। हालांकि, उनका प्रभाव गहन है। साहित्य में औपचारिक प्रशिक्षण न होने के बावजूद, सौरभ की स्वाभाविक प्रतिभा और उनके शिल्प के प्रति समर्पण की ज्योति उनके लेखन में उजागर होती है। उन्हें उन विषयों पर प्रकाश डालने की क्षमता है जो अक्सर परखे जाते हैं, उन्हें अपने दर्शनशास्त्रीय प्रसंगों के साथ जनता की चेतना के सम्मुख लाने की।""
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