10,99 €
inkl. MwSt.

Versandfertig in über 4 Wochen
payback
5 °P sammeln
  • Broschiertes Buch

About the Book: ऋग्वेद के समय से कविता की मज़बूत परम्परा रही है। लेखक व दार्शनिक कुशल कवि होते थे। कविता प्रायः संगीत की परम्पराओं से सम्बन्ध रखती है। रामायण व महाभारत कालजयी महाकाव्य हैं। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुसार, "केवल मनोरंजन न कवि का कर्म होना चाहिये, उसमें उचित उपदेश का मर्म होना चाहिये।" कविता ज्ञानराशि का संचित कोष है। कलम की शक्ति का प्रयोग कर कवि साहित्यकार नए समाज के निर्माण में सहयोग देता है। कुरीतियाँ पर कुठाराघात कर कविता जनमानस को सकारात्मक सोच और लोक कल्याण के कार्यों के लिये प्रेरणा देती है। मानव के उच्चतर भाव कविता में व्यक्त होते हैं जो सभ्यता के विकास में सहायक…mehr

Produktbeschreibung
About the Book: ऋग्वेद के समय से कविता की मज़बूत परम्परा रही है। लेखक व दार्शनिक कुशल कवि होते थे। कविता प्रायः संगीत की परम्पराओं से सम्बन्ध रखती है। रामायण व महाभारत कालजयी महाकाव्य हैं। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुसार, "केवल मनोरंजन न कवि का कर्म होना चाहिये, उसमें उचित उपदेश का मर्म होना चाहिये।" कविता ज्ञानराशि का संचित कोष है। कलम की शक्ति का प्रयोग कर कवि साहित्यकार नए समाज के निर्माण में सहयोग देता है। कुरीतियाँ पर कुठाराघात कर कविता जनमानस को सकारात्मक सोच और लोक कल्याण के कार्यों के लिये प्रेरणा देती है। मानव के उच्चतर भाव कविता में व्यक्त होते हैं जो सभ्यता के विकास में सहायक होते हैं। थोड़े से शब्दों में सटीक बात कह जाती है कविता। महाप्राण निराला ने मुक्त-छन्द की सृष्टि द्वारा अपूर्व अभिव्यंजन परम्परा को प्रतिष्ठा दी है। वर्तमान हिन्दी में नए छन्द को स्वच्छन्द छन्द के नाम से पुकारा जाता है। इस पुस्तक की कविता स्वच्छन्द छन्द की कविता है और जब जैसा भावोद्रेक हुआ है, वैसी बन पड़ी है। हृदय में जब जो भाव आते हैं, वही कविता के रूप में स्वतः प्रस्फुटित हो जाते हैं।
Hinweis: Dieser Artikel kann nur an eine deutsche Lieferadresse ausgeliefert werden.
Autorenporträt
About the Author: चन्द्र प्रभा जी ने एम.ए. संस्कृत में किया और लॉ में एल.एल.बी. किया। न्यायिक सेवा में टॉप कर प्रथम महिला न्यायिक पदाधिकारी होने का गौरव हासिल किया। लेखन और पर्यटन में रुचि के कारण देश- विदेश घूमीं। उच्च न्यायिक सेवा से सेवानिवृत्त होने के पश्चात् अपने रुचि व अनुभव के विषय में लेखन किया। कुकरी पर 'भोगप्रसाद', 'षड् रस' 'बेसिक होम कुकिंग' आदि पाँच पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। सामाजिक विषय पर 'गृहदीप्ति' और लॉ पर 'जीवन में न्याय' पुस्तक प्रकाशित हुई हैं। एक उपन्यास 'आश्रिता' पर के. बी. हिन्दी सेवा न्यास (पंजी) द्वारा "हिन्दी भूषण श्री" सम्मान से सम्मानित। स्टोरीमिरर प्रकाशन द्वारा "सरस कहानियाँ" पुस्तक प्रकाशित। स्टोरीमिरर में प्रकाशित रचनाओं के लिये "लिटरेरी जनरल" सम्मान प्राप्त हुआ है।और "फ़्री इंडिया" कहानी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। इन्हें स्टोरीमिरर पर ऑथर ऑफ द वीक पुरस्कार दिया गया, साथ ही इन्हें ऑथर ऑफ द ईयर 2021 में और 2022 में नामित किया गया। कई प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुए। ऑथर ऑफ द ईयर 2022 का विजेता प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है। निखिल प्रकाशन समूह आगरा से प्रकाशित आठ साझा संग्रहों में और नवमान् पब्लिकेशन्स अलीगढ़ से चार साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित। "साहित्य गौरव सम्मान", "साहित्य वैभव सम्मान" आदि कई सम्मान प्राप्त हुए। विद्योत्तमा फ़ाउंडेशन, नासिक से "विद्योत्तम् साहित्य सेवा सम्मान" प्राप्त हुआ। बृजलोक साहित्य-कला-संस्कृति अकादमी आगरा से "कलम साधिका" सम्मान प्राप्त हुआ।