27,99 €
inkl. MwSt.
Versandkostenfrei*
Versandfertig in über 4 Wochen
payback
14 °P sammeln
  • Broschiertes Buch

संस्कृत महाकवि कालिदास के मेघदूत महाकाव्य की छंद मीमांसा. कविवर कालिदास जी को मेघदूत महाकाव्य लिखते समय वाणी को रसमय और सुंदरतम अलंकृत करने के साथ-साथ ही छंद-सूत्र के अनुसार लघु-गुरु मात्राओं की सुत्रबद्धता सिद्ध करने के लिए, क्या-क्या पापड़ बेलने पड़े थे उनकी सूक्ष्म मीमांसा सुव्यवस्थित रीति से यहाँ की गई है. यही पेचीदा समस्याएँ कविवर कालिदास ने ऋतुसंहार और शकुन्तला महाकाव्य लिखते समय भी झेली थीं उन दोनों की संक्षिप्त छंद मीमांसा आगे वाली दो पुस्तकों में विद्यमान हैं. A Research Work on the Prodosy of the epic poem of Meghdoot of the Great Poet Laureate Kalidas. While writing the Epic of…mehr

Produktbeschreibung
संस्कृत महाकवि कालिदास के मेघदूत महाकाव्य की छंद मीमांसा. कविवर कालिदास जी को मेघदूत महाकाव्य लिखते समय वाणी को रसमय और सुंदरतम अलंकृत करने के साथ-साथ ही छंद-सूत्र के अनुसार लघु-गुरु मात्राओं की सुत्रबद्धता सिद्ध करने के लिए, क्या-क्या पापड़ बेलने पड़े थे उनकी सूक्ष्म मीमांसा सुव्यवस्थित रीति से यहाँ की गई है. यही पेचीदा समस्याएँ कविवर कालिदास ने ऋतुसंहार और शकुन्तला महाकाव्य लिखते समय भी झेली थीं उन दोनों की संक्षिप्त छंद मीमांसा आगे वाली दो पुस्तकों में विद्यमान हैं. A Research Work on the Prodosy of the epic poem of Meghdoot of the Great Poet Laureate Kalidas. While writing the Epic of Meghdoot, poet Kalidas, in order to make the language ornate and most beautiful, as well as to prove the coherence of the short and long vowels according to the formula of the meters, what intricacies he had to go through is explained here in a systematic manner. The same complex problems were faced by poet Kalidas while writing his two other great works, Ritu-Samhar and Shakuntala. The analysis of the meters in these both epics is given in our next two books. It is hoped that this study will inspire and provide ample material for the thinkers, students and the research scholars.
Hinweis: Dieser Artikel kann nur an eine deutsche Lieferadresse ausgeliefert werden.