18,99 €
inkl. MwSt.

Versandfertig in über 4 Wochen
  • Broschiertes Buch

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 में तलवंडी नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ। भारतवर्ष में गुरु और शिष्य की परम्परा बहुत प्राचीन है। गुरु का स्थान परमेश्वर से भी ऊंचा माना जाता है। गुरु के द्वारा ही व्यक्ति को सांसारिक ज्ञान प्राप्त होता है और गुरु के द्वारा ही उसे इस ज्ञान का बोध होता है कि किस प्रकार परमेश्वर को प्राप्त किया जा सके। गुरुनानक देव जी ने एक ऐसे विकट समय में जन्म लिया था, जब भारत में कोई केंद्रीय संगठित शक्ति नहीं थी। विदेशी आक्रमणकारी भारत देश को लूटने में लगे थे। धर्म के नाम पर अंधविश्वास और कर्मकांड चारों तरफ फैले हुए थे। ऐसे समय में गुरु नानक सिख धर्म के एक…mehr

Produktbeschreibung
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 में तलवंडी नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ। भारतवर्ष में गुरु और शिष्य की परम्परा बहुत प्राचीन है। गुरु का स्थान परमेश्वर से भी ऊंचा माना जाता है। गुरु के द्वारा ही व्यक्ति को सांसारिक ज्ञान प्राप्त होता है और गुरु के द्वारा ही उसे इस ज्ञान का बोध होता है कि किस प्रकार परमेश्वर को प्राप्त किया जा सके। गुरुनानक देव जी ने एक ऐसे विकट समय में जन्म लिया था, जब भारत में कोई केंद्रीय संगठित शक्ति नहीं थी। विदेशी आक्रमणकारी भारत देश को लूटने में लगे थे। धर्म के नाम पर अंधविश्वास और कर्मकांड चारों तरफ फैले हुए थे। ऐसे समय में गुरु नानक सिख धर्म के एक महान दार्शनिक, विचारक साबित हुए। गुरुनानक देव जी ने अपनी सुमधुर सरल वाणी से जनमानस के हृदय को जीत लिया। लोगों को बेहद सरल भाषा में एक ओंकार का सन्देश पूरी दुनिया को समझाया कि सभी इंसान एक दूसरे के भाई है। ईश्वर सबके पिता है, फिर एक पिता की संतान होने के बावजूद हम ऊंच-नीच कैसे हो सकते है? इन्हीं सभी भ्रांतियों को दूर करने के लिए उन्होंने उपदेशों को अपने जीवन में अमल किया और चारों ओर धर्म का प्रचार कर स्वयं एक आदर्श बने। उन्होंने सामाजिक सद्भाव की मिसाल कायम कीऔर मानवता का सच्चा संदेश दिया।
Hinweis: Dieser Artikel kann nur an eine deutsche Lieferadresse ausgeliefert werden.