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फ़रवरी २०२१ से मई २०२१ के बीच देश में बड़े बड़े हालातों ने ऐसी तांडव मचाने की तैयारी कर ली थी जो फलीभूत होने के बाद और विद्रूपता धारण कर लेता, उसी के मद्देनजर लिखी गई रचनाओं का संग्रहीत रुप आपके लिए। खासकर महामारी से चीखती-चिल्लाती आबादी का एक अलग ही दुख है। हर तबकों में परेशानी है हर घर में एक बेचैनी है, गांवों के हर नुक्कड़ पर एक क्रंदन है, चिकित्सालयों में खौफ और दहशत का मंजर है, इंसानियत सहम गई है। इन हालातो को शब्दों का जामा पहनाकर उसे कालजयी बनाने की यह कोशिश इसलिए की गई है कि इतिहास ऐसी विकट स्थिति को याद रखे कि परम पिता परमेश्वर की सत्ता को चुनौती देने की सोच भी मखलूक की बर्बादी का सबब हो सकती है।…mehr

Produktbeschreibung
फ़रवरी २०२१ से मई २०२१ के बीच देश में बड़े बड़े हालातों ने ऐसी तांडव मचाने की तैयारी कर ली थी जो फलीभूत होने के बाद और विद्रूपता धारण कर लेता, उसी के मद्देनजर लिखी गई रचनाओं का संग्रहीत रुप आपके लिए। खासकर महामारी से चीखती-चिल्लाती आबादी का एक अलग ही दुख है। हर तबकों में परेशानी है हर घर में एक बेचैनी है, गांवों के हर नुक्कड़ पर एक क्रंदन है, चिकित्सालयों में खौफ और दहशत का मंजर है, इंसानियत सहम गई है। इन हालातो को शब्दों का जामा पहनाकर उसे कालजयी बनाने की यह कोशिश इसलिए की गई है कि इतिहास ऐसी विकट स्थिति को याद रखे कि परम पिता परमेश्वर की सत्ता को चुनौती देने की सोच भी मखलूक की बर्बादी का सबब हो सकती है।
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