28,99 €
inkl. MwSt.
Versandkostenfrei*
Versandfertig in über 4 Wochen
  • Broschiertes Buch

यह उपन्यास अठारहवीं सदी में भारत की तीसरी सबसे बड़ी रियासत जोधपुर के महाराजा विजयसिंह तथा उनकी पासवान गुलाबराय पर केन्द्रित है। गुलाबराय सुंदर, बुद्धिमती एवं शासन संचालन में निपुण थी। महाराजा ने राज्य का समस्त भार उसके हाथों में सौंप दिया था। गुलाबराय ने तीन दशकों तक विशाल जोधपुर रियासत पर राज किया। वह जनकोजी सिंधिया और महादजी सिंधिया जैसे प्रबल मराठों से तीस साल तक लड़ती रही और जोधपुर रियासत को बचाती रही। राज्य के मंत्री और सामंत गुलाब के प्राणों के बैरी हो गये किंतु वह मंत्रियों और सामंतों की हत्याएँ करती हुई लगातार आगे बढ़ती रही। यह उपन्यास पहली बार वर्ष 2010 में प्रकाशित हुआ था जिसे अपार…mehr

Produktbeschreibung
यह उपन्यास अठारहवीं सदी में भारत की तीसरी सबसे बड़ी रियासत जोधपुर के महाराजा विजयसिंह तथा उनकी पासवान गुलाबराय पर केन्द्रित है। गुलाबराय सुंदर, बुद्धिमती एवं शासन संचालन में निपुण थी। महाराजा ने राज्य का समस्त भार उसके हाथों में सौंप दिया था। गुलाबराय ने तीन दशकों तक विशाल जोधपुर रियासत पर राज किया। वह जनकोजी सिंधिया और महादजी सिंधिया जैसे प्रबल मराठों से तीस साल तक लड़ती रही और जोधपुर रियासत को बचाती रही। राज्य के मंत्री और सामंत गुलाब के प्राणों के बैरी हो गये किंतु वह मंत्रियों और सामंतों की हत्याएँ करती हुई लगातार आगे बढ़ती रही। यह उपन्यास पहली बार वर्ष 2010 में प्रकाशित हुआ था जिसे अपार लोकप्रियता मिली थी और पाठकों ने इसकी तुलना आचार्य चतुरसेन के उपन्यास 'गोली' से की थी। जिस प्रकार चतुरसेन की 'गोली' देशी रजवाड़ों की वास्तविकता थी, उसी प्रकार पासवान गुलाबराय भी देशी रजवाड़ों की वास्तविकता है। पासवान गुलाबराय अपनी सम्पूर्ण सुगंध और नुकीले काँटों के साथ एक बार फिर नए कलेवर में आपके हाथों में है। ाबराय
Hinweis: Dieser Artikel kann nur an eine deutsche Lieferadresse ausgeliefert werden.