15,99 €
inkl. MwSt.

Versandfertig in über 4 Wochen
payback
8 °P sammeln
  • Broschiertes Buch

श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने पर ब्रजवासियों को कृष्ण के विरह की पीड़ा अत्यंत व्यग्र करती रहती है । विशेष रूप से गोपियाँ और राधिका इस विरह वेदना से अधीर होकर उस प्रवासी कृष्ण को याद करती हुई उससे अपने विरही मन की व्यथा कहती हैं । बीते दिनों की याद में कभी वे आनन्दित होती हैं तब उनके मुख पर सहज हास्य खेलने लगता है परंतु कृष्ण की याद आते ही वे पुनः वेदना के सागर में डूबने लगती हैं । बार बार वे प्रवासी कृष्ण से पूछती है कि क्या वह उन स्मृतियों को भुला चुका है । क्या वह उन्हें याद नहीं करता ? वही विरह की पीड़ा तथा कृष्ण के साथ बीते दिनों की मधुर स्मृतियों की एक झलक है प्रस्तुत पुस्तक - 'प्रवासी'

Produktbeschreibung
श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने पर ब्रजवासियों को कृष्ण के विरह की पीड़ा अत्यंत व्यग्र करती रहती है । विशेष रूप से गोपियाँ और राधिका इस विरह वेदना से अधीर होकर उस प्रवासी कृष्ण को याद करती हुई उससे अपने विरही मन की व्यथा कहती हैं । बीते दिनों की याद में कभी वे आनन्दित होती हैं तब उनके मुख पर सहज हास्य खेलने लगता है परंतु कृष्ण की याद आते ही वे पुनः वेदना के सागर में डूबने लगती हैं । बार बार वे प्रवासी कृष्ण से पूछती है कि क्या वह उन स्मृतियों को भुला चुका है । क्या वह उन्हें याद नहीं करता ? वही विरह की पीड़ा तथा कृष्ण के साथ बीते दिनों की मधुर स्मृतियों की एक झलक है प्रस्तुत पुस्तक - 'प्रवासी'
Hinweis: Dieser Artikel kann nur an eine deutsche Lieferadresse ausgeliefert werden.