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कॉलेज जीवन के कुछ सच्चे और कुछ काल्पनिक किस्सों के मनके एक सूत्र में पिरोए गए हैं। उपन्यास में 80 और 90 के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस की झलक है। उस दौर की चुनौतियों और उनका सामना करने के तौर-तरीकों का दिलचस्प वर्णन है। इस उपन्यास के जरिये उस दौर के दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र अपनी पुरानी यादें ताजा कर सकते हैं और आज के छात्र बीते दिनों की वर्तमान दौर से तुलना कर सकते हैं। तीन दशकों में विश्वविद्यालय के कॉलेजों, वहां का माहौल, शिक्षा पद्धति, हॉस्टल जीवन आदि में समानता और बदलाव का आकलन किया जा सकता है।

Produktbeschreibung
कॉलेज जीवन के कुछ सच्चे और कुछ काल्पनिक किस्सों के मनके एक सूत्र में पिरोए गए हैं। उपन्यास में 80 और 90 के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस की झलक है। उस दौर की चुनौतियों और उनका सामना करने के तौर-तरीकों का दिलचस्प वर्णन है। इस उपन्यास के जरिये उस दौर के दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र अपनी पुरानी यादें ताजा कर सकते हैं और आज के छात्र बीते दिनों की वर्तमान दौर से तुलना कर सकते हैं। तीन दशकों में विश्वविद्यालय के कॉलेजों, वहां का माहौल, शिक्षा पद्धति, हॉस्टल जीवन आदि में समानता और बदलाव का आकलन किया जा सकता है।
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Autorenporträt
अगस्त्य अरुणाचल कभी दिल्ली विश्वविद्यालय में रामजस कॉलेज के छात्र थे, आज मीडिया जगत में अपनी पहचान बुलंद कर रहे हैं। रोजमर्रे का तनाव दूर करने के लिए यादों का सहारा लेने का शगल है। पुरानी यादें कलमबद्ध होती गईं और उपन्यास आकार पकड़ता गया। लेखक ने उस दौर में टीवी न्यूज इंडस्ट्री में प्रवेश किया, जब भारत में प्राइवेट टीवी न्यूज पनप ही रहा था। नई इंडस्ट्री कब पुरानी हो गई, पता ही नहीं चला। पर खबरों की दुनिया से नाता नहीं टूटा। दिल में हर समय कुछ नया करने की चाहत बनी रही है। जब ऑडियो बुक का प्रचलन भारत में परवान भी नहीं चढ़ा था, तभी किसानों के लिए ऑडियो बुक तैयार कर डाला। पर्यावरण के प्रति संजीदगी है। इसी कारण उपन्यास का स्वरूप ई-बुक है। हालांकि पेपरबैक पुस्तक पसंद करने वालों के लिए भी विकल्प उपलब्ध है।