कॉलेज जीवन के कुछ सच्चे और कुछ काल्पनिक किस्सों के मनके एक सूत्र में पिरोए गए हैं। उपन्यास में 80 और 90 के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस की झलक है। उस दौर की चुनौतियों और उनका सामना करने के तौर-तरीकों का दिलचस्प वर्णन है। इस उपन्यास के जरिये उस दौर के दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र अपनी पुरानी यादें ताजा कर सकते हैं और आज के छात्र बीते दिनों की वर्तमान दौर से तुलना कर सकते हैं। तीन दशकों में विश्वविद्यालय के कॉलेजों, वहां का माहौल, शिक्षा पद्धति, हॉस्टल जीवन आदि में समानता और बदलाव का आकलन किया जा सकता है।
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