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About the Book: जिस प्रकार मनुष्य अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन को ग्रहण करता है, उसी प्रकार आत्म कल्याण चाहने वाले मनुष्य को भजन की आवश्यकता पड़ती है। "भजनामृत एकआत्मरस" उस अमृत के समान है जिसमें भगवत प्रेमी जन डुबकी लगाकर अपना इहलोक तथा परलोक दोनों सफल बना कर उस परमपिता परमेश्वर से, जगत जननी वात्सल्य रूपी मां के दर्शन का भागी बन जाता है और उस मोक्ष के मार्ग को अति शीघ्र प्राप्त कर जाता है। स्तुति, प्रभु के गुणानुवाद गाना, सुंदर तथा मधुर वाणी से भजन उनकी पूजा का अहम हिस्सा है। भजन में वाणी मन के साथ होती है, जब मन प्रेम में विभोर होता है तो वाणी भी प्रेममय होकर एक भाव में निकलती है, उस…mehr

Produktbeschreibung
About the Book: जिस प्रकार मनुष्य अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन को ग्रहण करता है, उसी प्रकार आत्म कल्याण चाहने वाले मनुष्य को भजन की आवश्यकता पड़ती है। "भजनामृत एकआत्मरस" उस अमृत के समान है जिसमें भगवत प्रेमी जन डुबकी लगाकर अपना इहलोक तथा परलोक दोनों सफल बना कर उस परमपिता परमेश्वर से, जगत जननी वात्सल्य रूपी मां के दर्शन का भागी बन जाता है और उस मोक्ष के मार्ग को अति शीघ्र प्राप्त कर जाता है। स्तुति, प्रभु के गुणानुवाद गाना, सुंदर तथा मधुर वाणी से भजन उनकी पूजा का अहम हिस्सा है। भजन में वाणी मन के साथ होती है, जब मन प्रेम में विभोर होता है तो वाणी भी प्रेममय होकर एक भाव में निकलती है, उस वाणी में एक अद्भुत रस होता है जिसके सुनते ही स्वतः प्रभु अपने ऐसे भक्तों के पास आने को बाध्य हो जाते हैं।
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Autorenporträt
नीरज पाल बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश में, जूनियर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत हैं। ये उत्तर प्रदेश के जिला कन्नौज के छिबरामऊ कस्बे के रहने वाले हैं। स्टोरीमिरर प्लेटफार्म में जुड़ने के बाद लगातार तीन वर्षों से कविता, कहानियां लिख रहे हैं। लगातार दो बार ऑथर ऑफ द ईयर 2020, 2021 के साथ मेगा प्राइज विजेता भी हैं। इनकी अपनी पहली पुस्तक "भजनामृत-आत्मरस" स्टोरीमिरर द्वारा प्रकाशित की जा रही है।