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About the Book: हिन्दी चैट उपन्यास "यू एंड मी... द अल्टिमेट ड्रीम ऑफ लव" की भव्य सफलता के बाद इस उपन्यास की अगली कड़ी आपके सामने हाज़िर है लेखक द्वय मल्लिका मुखर्जी एवं अश्विन मैकवान के निजी जीवन की सत्य घटनाओं पर आधारित यह उपन्यास प्रेम के शाश्वत रूप को न सिर्फ़ गहराई से स्थापित करता है बल्कि सूक्ष्म मानवीय संवेदनाओं का प्रतिनिधित्व भी करता है। इकतालीस साल के लंबे अंतराल के बाद दोनों सोशल मीडिया पर मिलते हैं। दोनों के बीच13500 कि. मी. का फ़ासला है, लेकिन वे एक दूसरे की ताकत बनते हैं और लौटाते हैं एक दूसरे को वो मुस्कुराहटें, वो साल, वो पल, वो दिन-महीने जो अचानक से समय की किसी गलत करवट के कारण…mehr

Produktbeschreibung
About the Book: हिन्दी चैट उपन्यास "यू एंड मी... द अल्टिमेट ड्रीम ऑफ लव" की भव्य सफलता के बाद इस उपन्यास की अगली कड़ी आपके सामने हाज़िर है लेखक द्वय मल्लिका मुखर्जी एवं अश्विन मैकवान के निजी जीवन की सत्य घटनाओं पर आधारित यह उपन्यास प्रेम के शाश्वत रूप को न सिर्फ़ गहराई से स्थापित करता है बल्कि सूक्ष्म मानवीय संवेदनाओं का प्रतिनिधित्व भी करता है। इकतालीस साल के लंबे अंतराल के बाद दोनों सोशल मीडिया पर मिलते हैं। दोनों के बीच13500 कि. मी. का फ़ासला है, लेकिन वे एक दूसरे की ताकत बनते हैं और लौटाते हैं एक दूसरे को वो मुस्कुराहटें, वो साल, वो पल, वो दिन-महीने जो अचानक से समय की किसी गलत करवट के कारण मिस प्लेस हो गए थे। आधुनिक युग में जब प्रेम का अर्थ ही बदल गया है तब वे अपने संवादों से आपको प्रेम की ऐसी गलियों में ले जाते हैं, जहाँ आँसुओं से भीगे मन और खोई हुई चेतना है। ' प्रेम सबसे ऊपर है और प्रेम के ऊपर कुछ भी नहीं।' इस उपन्यास का मूल तत्व है।अनकहे प्रेम तथा प्रवासी संवेदनाओं की पारदर्शी अभिव्यक्ति की सच्ची दास्तान है।
Autorenporträt
About the Author: मल्लिका मुखर्जी प्रधान निदेशक लेखापरीक्षा कार्यालय से वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्ति के बाद, बहुभाषी साहित्यकार मल्लिका मुखर्जी स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। प्रकाशित काव्य संग्रह "मौन मिलन के छन्द" और "एक बार फिर", यात्रा संस्मरण "मेरा स्वर्णिम बंगाल" तथा चैट उपन्यास "यू एंड मी...द अल्टिमेट ड्रीम ऑफ लव" हैं। तीन अनुदित किताबें हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गुजराती काव्य संग्रह का बांग्ला काव्यानुवाद "नयन जे धन्य", वरिष्ठ साहित्यकार सुश्री स्मिता ध्रुव की गुजराती पुस्तक का हिन्दी अनुवाद "भारत की आज़ादी की लड़ाई के अमर शहीद" तथा सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री प्रबोध कुमार गोविल के हिन्दी उपन्यास का बांग्ला अनुवाद "जॉलेर ओपारे" हैं।