इस पुस्तक में मैंने अपने अभी तक के उन उद्गारों का चयन किया है जो मेरे मन के सबसे क़रीब हैं। ये कविताएँ स्वयं के साथ मेरे वार्तालाप का परिणाम हैं। जब भी मैं किसी भावनात्मक ऊहापोह में रहा मेरी भावनाएँ या तो गीत या कविताओं के रूप में परिलक्षित हुईं। इन कविताओं के ज़रिए पाठक को मेरे मन और जीवन की एक छोटी सी झलक मिले ऐसी मेरी कामना है। मेरी आशा है कि मेरी कविताओं में पाठक अपना प्रतिबिम्ब देख पाएँगे और अपना आत्मसंबंध और भी प्रगाढ़ कर पाएँगे।
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