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इस पुस्तक में ब्रिटिश कालीन राजपूताना जिसे अब राजस्थान कहा जाता है, में स्थित चार सक्षम राज्यों जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर की बीसवीं सदी में स्थिति, ई.1930 में प्रस्तावित अखिल भारतीय संघ के प्रति उनकी प्रतिक्रिया, क्रिप्स मिशन एवं केबीनेट मिशन में देशी राजाओं की भूमिका, द्वितीय विश्वयुद्ध एवं उसके पश्चात् देशी राज्यों के प्रति ब्रिटिश नीति, देशी राज्यों का संविधान सभा में प्रवेश एवं परमोच्चता का विलोपन, देशी रियासतों का भारतीय संघ में विलय, स्वाधीनता के पश्चात् सक्षम राज्यों में उत्तरदायी सरकारों का गठन, सक्षम राज्यों का राजस्थान में विलय तथा एकीकरण के पश्चात की समस्याओं का विश्लेषण किया…mehr

Produktbeschreibung
इस पुस्तक में ब्रिटिश कालीन राजपूताना जिसे अब राजस्थान कहा जाता है, में स्थित चार सक्षम राज्यों जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर की बीसवीं सदी में स्थिति, ई.1930 में प्रस्तावित अखिल भारतीय संघ के प्रति उनकी प्रतिक्रिया, क्रिप्स मिशन एवं केबीनेट मिशन में देशी राजाओं की भूमिका, द्वितीय विश्वयुद्ध एवं उसके पश्चात् देशी राज्यों के प्रति ब्रिटिश नीति, देशी राज्यों का संविधान सभा में प्रवेश एवं परमोच्चता का विलोपन, देशी रियासतों का भारतीय संघ में विलय, स्वाधीनता के पश्चात् सक्षम राज्यों में उत्तरदायी सरकारों का गठन, सक्षम राज्यों का राजस्थान में विलय तथा एकीकरण के पश्चात की समस्याओं का विश्लेषण किया गया है। इस विषय पर इस पुस्तक से पहले ऐसी कोई पुस्तक नहीं थी।
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