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वैदेही व्यथा यह रचना सीता के वनवास को आधार बना कर लिखी गयी है । केवल जन मन रंजन के लिये एक धोबी के कहने को आधार बना कर भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण के द्वारा अपनी पतिव्रता पत्नी जनकनन्दिनी सीता को वन में भिजवा दिया । न उन्हें उनका अपराध या दोष बताया गया और न उन्हें कुछ कहने का ही अवसर दिया गया । जब उनका वन में परित्याग किया गया तब वे गर्भवती थीं । उस अवस्था में पति द्वारा परित्याग का दंश झेलनेवाली सीता के मन मे उठने वाले विभिन्न प्रश्नों, आशंकाओं को ही शब्द देने का प्रयास प्रस्तुत खण्डकाव्य में किया गया है । यह एक परित्यक्ता नारी की व्यथा की अभव्यक्ति है जो अंत तक अपने प्रिय की प्रतीक्षा करती रहती है, उसे अंतर्मन से पुकारती रहती है...…mehr

Produktbeschreibung
वैदेही व्यथा यह रचना सीता के वनवास को आधार बना कर लिखी गयी है । केवल जन मन रंजन के लिये एक धोबी के कहने को आधार बना कर भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण के द्वारा अपनी पतिव्रता पत्नी जनकनन्दिनी सीता को वन में भिजवा दिया । न उन्हें उनका अपराध या दोष बताया गया और न उन्हें कुछ कहने का ही अवसर दिया गया । जब उनका वन में परित्याग किया गया तब वे गर्भवती थीं । उस अवस्था में पति द्वारा परित्याग का दंश झेलनेवाली सीता के मन मे उठने वाले विभिन्न प्रश्नों, आशंकाओं को ही शब्द देने का प्रयास प्रस्तुत खण्डकाव्य में किया गया है । यह एक परित्यक्ता नारी की व्यथा की अभव्यक्ति है जो अंत तक अपने प्रिय की प्रतीक्षा करती रहती है, उसे अंतर्मन से पुकारती रहती है...
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