प्रेमचंद का गोदान सिर्फ एक उपन्यास नहीं, बल्कि भारतीय समाज का ऐसा आइना है, जिसमें आज भी हम अपने सवालों और संघर्षों के जवाब ढूंढ सकते हैं। यह कहानी है होरी और धनिया की, जो अपने सपनों, संघर्षों और रिश्तों की उलझनों में जीते हैं। यह उपन्यास न केवल किसानों की दयनीय स्थिति का जीवंत चित्रण करता है, बल्कि बदलते हुए शहरी और ग्रामीण जीवन के बीच के टकराव को भी बखूबी प्रस्तुत करता है। गोदान केवल एक कहानी नहीं, बल्कि भारतीय समाज का दर्पण है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है। पढ़िए और जानिए कि क्यों गोदान को भारतीय साहित्य की सबसे बड़ी कृतियों में गिना जाता है? यह उपन्यास आपको न केवल गांव की मिट्टी की महक महसूस कराएगा, बल्कि आपके भीतर के सवालों को भी जगाएगा। * संघर्ष, सपने और संवेदनाओं की अनकही कहानी। * ग्रामीण भारत की सच्चाई ग्रामीण समाज की गरीबी, शोषण और सामाजिक असमानता का यथार्थ चित्रण करता है। * आर्थिक असमानता गरीब और अमीर के बीच गहरी खाई का चित्रण। * त्याग और बलिदान होरी का जीवन त्याग, धर्म और कर्तव्य की भावना का उदाहरण है। * सामाजिक अन्याय जमींदारों और महाजनों द्वारा गरीब किसानों का शोषण।
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