इस संग्रह में तीन कहानियाँ संकलित हैं-'अलमारी', 'कमरे' और 'ऊपरवाले का हाथ'। तीनों कहानियाँ अपने पात्रों के रहस्यमय आन्तरिक मनोजगत का दिलकश उद्घाटन करती हैं। अपने लिए एक सुरक्षित जगह तलाश करने की मनुष्य की आदिम इच्छा का वर्णन 'अलमारी' में बेहद खूबसूरती के साथ किया गया है। वहीं 'कमरे' कहानी में एक होटल के विभिन्न कमरों के बहाने इंसानी जीवन के स्याह-सफेद को बहुत दिलचस्प ढंग से रेखांकित किया गया है। 'ऊपरवाले का हाथ' में कम्प्यूटर का माहिर नायक मनुष्य और सभ्यता की कुछ नियतिबद्ध अपरिहार्यताओं की तरफ इशारा करता है। अत्यन्त पठनीय कहानियाँ। राजकमल प्रकाशन समुह की अनुमति से यह पुस्तक का अंश प्रकाशित किया गया है. ऐसी गंदगी केवल बच्चे छोड़ सकते हैं आधा छिला हुआ संतरा बिस्तरे पर, मगों में रस, पाँव के नीचे दबा हुआ टूथपेस्ट कालीन पर। सजाए हुए कागज के टुकड़े, महँगी दूकानों से खरीदे हुए कपड़ों की कीमतों के पर्चे, तकिये ठूँसे हुए अलमारी के अंदर, टूटी हुई होटल की पेंसिल, सूटकेस का सामान उलटाया हुआ आरामकुर्सी पर, पोस्टकार्ड जिसमें पते के अलावा कुछ भी लिखा नहीं, चलता हुआ टी.वी., ऊपर किये हुए पर्दे, ए.सी. पर सूखते हुए मोजे और कच्छे, छितरे हुए सिगरेट, राखदानी भरी हुई तरबूज के बीजों से। कमरा, जिसमें अमेरिका के लोग रहते हैं हास्योत्पादक होता है, उसकी संजीदगी खत्म कर दी गई होती है, सब कुछ उससे दोस्ती बनाने के बहाने से। इसी तरह गुलाबी और हल्के पीले, खूबसूरत कमरा नं. 223 की बेइज्जती की गई है। लगता है कि एक अधेड़ उम्र के सज्जन को विदूषक के कपड़े पहनाये गए हों। -इसी पुस्तक से राजकमल प्रकाशन समुह की अनुमति से यह पुस्तक का अंश प्रकाशित किया गया है.
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