निशाचर प्रख्यात कथाकार भीष्म साहनी की रचनाओं ने हिन्दी के समकालीन कथा-साहित्य को एक नई दिशा दी है। अतीत, वर्तमान और भविष्य - तीनों कालों में जीवित उनकी कहानियों के पात्र किन्हीं नियतिवादी विचारों से प्रभावित नहीं होते, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए संघर्षरत शक्तियों से जुड़कर नया अर्थ ग्रहण करते हैं। निशाचर भीष्म साहनी का महत्त्वपूर्ण कहानी-संग्रह है। इस संग्रह की कहानियाँ मानवीय सम्बन्धों के बदलते- बिगड़ते रूपों को जिस आत्मीयता के साथ हमारे सामने उभारती हैं, वह हिन्दी कथा-साहित्य की अमूल्य निधि है। भीष्मजी के पास एक साफ-सुलझी जीवन-दृष्टि है, जो उनके अनुभवों को तार्किक व्यवस्था प्रदान करती है। सीधी-सादी शैली में चित्रित इन कहानियों के पात्र परिस्थितियों से आक्रान्त होकर किसी काल्पनिक दुनिया में पलायन नहीं करते, बल्कि जिन्दगी के कड़वाहट-भरे यथार्थ से साहस के साथ टकराते हैं। भीष्म साहनी स्थितियों की भयावहता और बीभत्सता का चित्रण कर चुप्पी नहीं साध लेते, बल्कि उन स्थितियों से टकराते व्यक्तियों और सामाजिक शक्तियों से अपना सक्रिय रिश्ता भी कायम करते हैं। इस संग्रह की कहानियाँ, भीष्मजी की सृजनशीलता के नए आयामों को भी रेखांकित करती हैं।
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