गुनाह तो हो गया, अब तो बस सजा काट रहा हूं. प्यार के दर्द को शब्दों में बाँटना, कभी पछताना नहीं प्रेम, प्यार, इश्क, मोहब्बत। हिंदी में लिखे जाने पर ये शब्द भले ही अधूरे हों, लेकिन दुनिया की सभी भाषाओं में ये जो भाव व्यक्त करते हैं, वह अपने आप में संपूर्ण होता है। जिसने भी इस अनुभूति को महसूस किया है, उसके जीवन में इसकी पूर्णता का अहसास सदैव बना रहता है। मेरी कविताओं का यह संग्रह इसी पवित्र अनुभूति के विभिन्न आयामों को शब्दों में पिरोने का एक प्रयास है।
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