हिंदू धर्म में अनेक पारंपरिक देवी-देवता, धर्म शास्त्र, मान्यताएँ मौजूद हैं। ये सभी तत्त्व रंग-बिरंगी हिंदू संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। इंद्र, अग्नि, सोम, वरुण, प्रजापति, सविता, सरस्वती, उषा, पृथ्वी, गणेश, श्रीराम, श्रीकृष्ण, हनुमान, कार्तिकेय, सूर्य, चंद्र, दुर्गा, पार्वती, लक्ष्मी, शीतला, सीता, राधा, संतोषी, काली—इत्यादि सभी देवी-देवता हिंदू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हैं और इनकी कुल संख्या 33 कोटि बतायी जाती है।
पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव सर्वोच्च शक्तिसंपन्न देवता हैं। ये प्रकृति के नियंता हैं। इनकी आज्ञा के बिना यहाँ पत्ता भी नहीं हिलता। एक विशेष बात और—सभी देवी-देवगण के काम बँटे हुए हैं। कोई किसी के क्षेत्र-विशेष में हस्तक्षेप नहीं करता। कार्य के संपादन के लिए सभी को तत्संबंधी शक्तियाँ भी प्रदान की गई हैं। इन सबके अलावा हिंदू धर्म में गाय को भी माता के रूप में पूजा जाता है। यह माना जाता है कि गाय में संपूर्ण 33 कोटि देवी-देवता वास करते हैं। अनेक वृक्षों, नदियों, पशु-पक्षियों, पर्वतों आदि को यहाँ ईश्वर मानकर पूजा जाता है। इस प्रकार हिंदू धर्म व्यापक उदार धर्म है। यह शाश्वत धर्म है और इतने देवी-देवता होने के बावजूद एकेश्वरवाद का समर्थक है। हिंदुवादियों का मानना है कि ईश्वर एक ही है, बस नाम अनेक हैं। किसी को पीड़ा पहुँचाना सबसे बड़ा पाप है और परोपकार सबसे बड़ा पुण्य। प्राणि-सेवा ही परमात्मा की सेवा है। हिंदुत्व का वास—हिंदुत्व के मन, संस्कार और परंपराओं में है।
धर्म और मानवता की रक्षार्थ हिंदू देवी-देवताओं ने अनेक अवतार भी लिए हैं। इनमें भगवान् विष्णु के 10 अवतार प्रमुख माने जाते हैं—मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन, नरसिंह, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि (भावी)। कल्कि अवतार भगवान् विष्णु का चौबीसवाँ अवतार है जो वर्तमान कलिकाल के अंत में होना तय है। देश-विदेश में उनके विभिन्न रूपों की पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ आराधना की जाती है। धर्म ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि देवता अलग-अलग नामवाले हो सकते हैं, लेकिन सब समान रूप से अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में हिंदू धर्म की विभिन्न रोचक और जीवन-दर्शक कथाएँ दी गई हैं, जो पाठकों को अवश्य रुचिकर, जीवनोपयोगी और संस्कारपूर्ण लगेंगी।
पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव सर्वोच्च शक्तिसंपन्न देवता हैं। ये प्रकृति के नियंता हैं। इनकी आज्ञा के बिना यहाँ पत्ता भी नहीं हिलता। एक विशेष बात और—सभी देवी-देवगण के काम बँटे हुए हैं। कोई किसी के क्षेत्र-विशेष में हस्तक्षेप नहीं करता। कार्य के संपादन के लिए सभी को तत्संबंधी शक्तियाँ भी प्रदान की गई हैं। इन सबके अलावा हिंदू धर्म में गाय को भी माता के रूप में पूजा जाता है। यह माना जाता है कि गाय में संपूर्ण 33 कोटि देवी-देवता वास करते हैं। अनेक वृक्षों, नदियों, पशु-पक्षियों, पर्वतों आदि को यहाँ ईश्वर मानकर पूजा जाता है। इस प्रकार हिंदू धर्म व्यापक उदार धर्म है। यह शाश्वत धर्म है और इतने देवी-देवता होने के बावजूद एकेश्वरवाद का समर्थक है। हिंदुवादियों का मानना है कि ईश्वर एक ही है, बस नाम अनेक हैं। किसी को पीड़ा पहुँचाना सबसे बड़ा पाप है और परोपकार सबसे बड़ा पुण्य। प्राणि-सेवा ही परमात्मा की सेवा है। हिंदुत्व का वास—हिंदुत्व के मन, संस्कार और परंपराओं में है।
धर्म और मानवता की रक्षार्थ हिंदू देवी-देवताओं ने अनेक अवतार भी लिए हैं। इनमें भगवान् विष्णु के 10 अवतार प्रमुख माने जाते हैं—मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन, नरसिंह, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि (भावी)। कल्कि अवतार भगवान् विष्णु का चौबीसवाँ अवतार है जो वर्तमान कलिकाल के अंत में होना तय है। देश-विदेश में उनके विभिन्न रूपों की पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ आराधना की जाती है। धर्म ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि देवता अलग-अलग नामवाले हो सकते हैं, लेकिन सब समान रूप से अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में हिंदू धर्म की विभिन्न रोचक और जीवन-दर्शक कथाएँ दी गई हैं, जो पाठकों को अवश्य रुचिकर, जीवनोपयोगी और संस्कारपूर्ण लगेंगी।