अजय के लॉक्ड फ्लैट में रोशनदान के जरिये जा घुसी टिनी खुद को तो बचाने में कामयाब हो गई । लेकिन अजय बखेड़ों में फँसता चला गया...शुरुआत हुई नीम अँधेरी सुनसान सड़क पर घात लगाए अज्ञात पहलवान टाइप हमलावर के साथ भारी मारामारी से...घर पहुंचा तो वहां मौजूद थी । पूरी तरह जवान मगर सवा तीन फुटी बौनी स्री वह टिनी स्मिथ थी - सर्कस में ट्रेपीज़ आर्टिस्ट रह चुकी प्रोफेशनल सिंगर । उसकी बातों से पता चला जगतार से बचकर वहां आ चुकी थी और अजय पर हमला करने वाला जगतार ही था ।
अगली सुबह अजय अपने दोस्त की कार लेकर प्राइवेट डॉक्स एरिया पहुंचा । जगतार वहां लंगर डाले खड़ी यॉट जलपरी पर काम करता था । यॉट के मालिक थे हरमेश मित्रा और उसकी बेटी रागिनी थे...वहां तक पहुंचने के लिए किश्तियाँ किराये पर देनेवाला अधेड़ घाघ किस्म का आदमी निकला...अजय एक किश्ती लेकर यॉट पर पहुंचा...डैक पर रागिनी की सहेली नीरा मेहता मिली...हरमेश मित्रा ने बताया जगतार की उसे भी तलाश है...दो रोज पहले वह उसका पैसा लेकर भाग गया और उसने जो पता बताया था वो फर्जी निकला...नीरा मेहता किश्ती में अजय के साथ ही लौटी । वह पास ही टूरिस्ट कॉटेजों में रहती थी...अजय ने उसे कार में लिफ्ट दे दी...।
सर्कस में टिनी के जोड़ीदार रहे टिंगू बौना की तलाश में अजय वोल्गा बार पहुंचा...टिंगू तो नहीं मिला लेकिन जगतार का पता चला वह शाम को करीमगंज में देशी ठेके पर मिलेगा ।
शाम को अजय उस ठेके पर पहुंचा...। पता चला जगतार आकर जा चुका था...वह बेहद गुस्से में था और किसी छटंकी को सबक सिखाने जाने की बात कर रहा था...अजय सब समझ गया...टिनी के घर से दूर ही कार पार्क करके वह उसके घर पहुंचा...टिनी द्वारा दी चाबी से ताला खोला । अंदर जाकर इंतजार करने लगा...। घंटे भर बाद जगतार वहां आया तो अजय ने मार मार कर उसका मुरकस निकाल दिया...टिनी से दूर रहने की कसमें खाता रहां...उसकी हालत बेहद खस्ता थी...अजय उसे वहीँ लॉक करके चला गया...।
अपने फ्लैट पर पहुंचा तो टिनी वहां नहीं थी । रात दस बजने के बाद उसका फ़ोन आया और बस इतना कहा-जगतार की खोपड़ी के टुकड़े टुकड़े करके तुमने ठीक नहीं किया...।
अगली सुबह...बौनी के घर में हत्या...बौनी फरार...। पढ़कर अजय ने टिनी को ढूंढ़ने का फैसला किया...। बारह साल की उम्र तक टिनी की परवरिश कीमतीलाल और उसकी पत्नी शांता ने की थी...लेकिन वहां से भी उसका कोई पता नहीं चला...।
अजय 'जलपरी' पर पहुंचा...। रागिनी मित्रा सैक्सी नजर आती बातूनी किस्म की शराबी युवती निकली । कोई कार आमद जानकारी उससे तो नहीं मिली लेकिन किश्तियों वाले अधेड़ ने सौ रुपये लेकर बताया...दस दिन पहले 'जलपरी' बम्बई से आयी थी । बाप बेटी के अलावा दो आदमी रहमान और उस्मान भी थे...वे आते जाते रहते हैं...नीरा मेहता और उसका पति मदन मेहता भी उसी रोज दिल्ली से यहाँ पहुंचे थे ।
उसी रात टिंगू बौना का भुलावा देकर रहमान और उस्मान ने अजय को फंसा लिया लेकिन वह उनके चंगुल से निकल भगा ।
अगली सुबह अजय टिंगू बौना से मिला... टिनी के बारे में तो वह कुछ नहीं बता सका लेकिन वादा किया रहमान और उस्मान अगर वोल्गा यॉट में आते होंगे तो उनके बारे में पता लगाकर बता देगा ।
'जलपरी' पर हरमेश मित्रा तो हर बात को टालता रहा...लेकिन खासी पिए मुंहफट रागिनी ने साफ़ बताया...रहमान और उस्मान बम्बई से निकलकर चुपचाप विराटनगर आना चाहते थे...मोटा पैसा दे रहे थे इसलिए इसे उन्हें ले आये...।
उसी रात टिंगू बौने ने फोन पर बताया...रहमान और उस्मान रंगमहल होटल के कमरा नंबर छियालीस में मिलेंगे...पूरी तैयारी के साथ अजय वहां पहुंचा । वे कमरे में नहीं थे...अजय की तलाशी में एक जैसी तीन अख़बारों की कट्टिंग्स मिली जिनमे महताब आलम नामक विधायक की हत्या का समाचार छपा था...। रहमान और उस्मान आ पहुंचे...गोलियां चली उस्मान मारा गया...रहमान भाग गया...अजय भी साफ बच निकला...।
वो रात अजय ने नीलम के फ्लैट में गुजारी...नीलम ने कट्टिंग्स की डिटेल्स पता कीं - महताब आलम खान नामी स्मगलर रह चूका था उसकी उसके विरोधियों ने ही कराई थी...उसकी बीवी जीनत खान इन दिनों यहीं पीली हवेली में है करोड़ों की हैसियत रखती है...।
अजय पीली हवेली जाकर बेगम जीनत महल से मिला...उस घाघ औरत ने सिर्फ इतना कबूल किया रहमान अली कई साल पहले उसके पति के लिए काम करता था...। उसी रोज़ दिल्ली में अपने सोर्स से पता चला...नीरा मेहता साइको है और मदन मेहता अचूक निशानेबाज और पेशेवर कातिल है...। डेढ़ बजे नीलम ने आकर बताया - टिंगू बौने की हत्या कर दी गई...।
इस सारे बखेड़े की जड़ टिनी तक आखिर अजय पहुँच ही गया...वह कीमतीलाल की बेटियों के बीच छिपी मिली...। उसने बताया-यॉट पर काम करने के दौरान जगतार को पता चला वे लोग किसी की हत्या की योजना बना रहे थे...हफ्ते भर पहले मदन मेहता ने नशे की झोक में पैकेट का जिक्र किया जिसमे दो लाख नगद और आठ लाख के हीरे थे...जगतार की मदद से टिनी ने पोर्ट होल के रास्ते मित्रा के केबिन से पैकेट चुरा लिया...उन लोगों को पता लग गया...पीछा किया...टिनी और जगतार बच निकले...लेकिन पैकेट में हीरों की जगह कांच की गोलियां निकलीं और नोटों की गड्डियों में ऊपर नीचे के नोट ही असली थे...बाकी जनागज निकले...। जगतार की टिनी पर डबल क्रॉस का इल्जाम लगाया...टिनी बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागी और अजय के फ्लैट में जा छिपी...।
अजय समझ गया इस झमेले से निपटने का एक तरीका था-बेगम जीनत खान, हरमेश मित्रा, रागिनी मित्रा, नीरा मेहता और मदन मेहता को मोहरों की तरह इस्तेमाल किया जाए ???
अगली सुबह अजय अपने दोस्त की कार लेकर प्राइवेट डॉक्स एरिया पहुंचा । जगतार वहां लंगर डाले खड़ी यॉट जलपरी पर काम करता था । यॉट के मालिक थे हरमेश मित्रा और उसकी बेटी रागिनी थे...वहां तक पहुंचने के लिए किश्तियाँ किराये पर देनेवाला अधेड़ घाघ किस्म का आदमी निकला...अजय एक किश्ती लेकर यॉट पर पहुंचा...डैक पर रागिनी की सहेली नीरा मेहता मिली...हरमेश मित्रा ने बताया जगतार की उसे भी तलाश है...दो रोज पहले वह उसका पैसा लेकर भाग गया और उसने जो पता बताया था वो फर्जी निकला...नीरा मेहता किश्ती में अजय के साथ ही लौटी । वह पास ही टूरिस्ट कॉटेजों में रहती थी...अजय ने उसे कार में लिफ्ट दे दी...।
सर्कस में टिनी के जोड़ीदार रहे टिंगू बौना की तलाश में अजय वोल्गा बार पहुंचा...टिंगू तो नहीं मिला लेकिन जगतार का पता चला वह शाम को करीमगंज में देशी ठेके पर मिलेगा ।
शाम को अजय उस ठेके पर पहुंचा...। पता चला जगतार आकर जा चुका था...वह बेहद गुस्से में था और किसी छटंकी को सबक सिखाने जाने की बात कर रहा था...अजय सब समझ गया...टिनी के घर से दूर ही कार पार्क करके वह उसके घर पहुंचा...टिनी द्वारा दी चाबी से ताला खोला । अंदर जाकर इंतजार करने लगा...। घंटे भर बाद जगतार वहां आया तो अजय ने मार मार कर उसका मुरकस निकाल दिया...टिनी से दूर रहने की कसमें खाता रहां...उसकी हालत बेहद खस्ता थी...अजय उसे वहीँ लॉक करके चला गया...।
अपने फ्लैट पर पहुंचा तो टिनी वहां नहीं थी । रात दस बजने के बाद उसका फ़ोन आया और बस इतना कहा-जगतार की खोपड़ी के टुकड़े टुकड़े करके तुमने ठीक नहीं किया...।
अगली सुबह...बौनी के घर में हत्या...बौनी फरार...। पढ़कर अजय ने टिनी को ढूंढ़ने का फैसला किया...। बारह साल की उम्र तक टिनी की परवरिश कीमतीलाल और उसकी पत्नी शांता ने की थी...लेकिन वहां से भी उसका कोई पता नहीं चला...।
अजय 'जलपरी' पर पहुंचा...। रागिनी मित्रा सैक्सी नजर आती बातूनी किस्म की शराबी युवती निकली । कोई कार आमद जानकारी उससे तो नहीं मिली लेकिन किश्तियों वाले अधेड़ ने सौ रुपये लेकर बताया...दस दिन पहले 'जलपरी' बम्बई से आयी थी । बाप बेटी के अलावा दो आदमी रहमान और उस्मान भी थे...वे आते जाते रहते हैं...नीरा मेहता और उसका पति मदन मेहता भी उसी रोज दिल्ली से यहाँ पहुंचे थे ।
उसी रात टिंगू बौना का भुलावा देकर रहमान और उस्मान ने अजय को फंसा लिया लेकिन वह उनके चंगुल से निकल भगा ।
अगली सुबह अजय टिंगू बौना से मिला... टिनी के बारे में तो वह कुछ नहीं बता सका लेकिन वादा किया रहमान और उस्मान अगर वोल्गा यॉट में आते होंगे तो उनके बारे में पता लगाकर बता देगा ।
'जलपरी' पर हरमेश मित्रा तो हर बात को टालता रहा...लेकिन खासी पिए मुंहफट रागिनी ने साफ़ बताया...रहमान और उस्मान बम्बई से निकलकर चुपचाप विराटनगर आना चाहते थे...मोटा पैसा दे रहे थे इसलिए इसे उन्हें ले आये...।
उसी रात टिंगू बौने ने फोन पर बताया...रहमान और उस्मान रंगमहल होटल के कमरा नंबर छियालीस में मिलेंगे...पूरी तैयारी के साथ अजय वहां पहुंचा । वे कमरे में नहीं थे...अजय की तलाशी में एक जैसी तीन अख़बारों की कट्टिंग्स मिली जिनमे महताब आलम नामक विधायक की हत्या का समाचार छपा था...। रहमान और उस्मान आ पहुंचे...गोलियां चली उस्मान मारा गया...रहमान भाग गया...अजय भी साफ बच निकला...।
वो रात अजय ने नीलम के फ्लैट में गुजारी...नीलम ने कट्टिंग्स की डिटेल्स पता कीं - महताब आलम खान नामी स्मगलर रह चूका था उसकी उसके विरोधियों ने ही कराई थी...उसकी बीवी जीनत खान इन दिनों यहीं पीली हवेली में है करोड़ों की हैसियत रखती है...।
अजय पीली हवेली जाकर बेगम जीनत महल से मिला...उस घाघ औरत ने सिर्फ इतना कबूल किया रहमान अली कई साल पहले उसके पति के लिए काम करता था...। उसी रोज़ दिल्ली में अपने सोर्स से पता चला...नीरा मेहता साइको है और मदन मेहता अचूक निशानेबाज और पेशेवर कातिल है...। डेढ़ बजे नीलम ने आकर बताया - टिंगू बौने की हत्या कर दी गई...।
इस सारे बखेड़े की जड़ टिनी तक आखिर अजय पहुँच ही गया...वह कीमतीलाल की बेटियों के बीच छिपी मिली...। उसने बताया-यॉट पर काम करने के दौरान जगतार को पता चला वे लोग किसी की हत्या की योजना बना रहे थे...हफ्ते भर पहले मदन मेहता ने नशे की झोक में पैकेट का जिक्र किया जिसमे दो लाख नगद और आठ लाख के हीरे थे...जगतार की मदद से टिनी ने पोर्ट होल के रास्ते मित्रा के केबिन से पैकेट चुरा लिया...उन लोगों को पता लग गया...पीछा किया...टिनी और जगतार बच निकले...लेकिन पैकेट में हीरों की जगह कांच की गोलियां निकलीं और नोटों की गड्डियों में ऊपर नीचे के नोट ही असली थे...बाकी जनागज निकले...। जगतार की टिनी पर डबल क्रॉस का इल्जाम लगाया...टिनी बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागी और अजय के फ्लैट में जा छिपी...।
अजय समझ गया इस झमेले से निपटने का एक तरीका था-बेगम जीनत खान, हरमेश मित्रा, रागिनी मित्रा, नीरा मेहता और मदन मेहता को मोहरों की तरह इस्तेमाल किया जाए ???