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  • Format: ePub

वो कैसे छोड़ सकती थी? उसके ऊपर डर की एक अजीब सी पकड़ थी! और फिर भी, वो कैसे जारी रखती? वो फंसा हुआ महसूस करती! वो निरंतर इस डर में रहती कि कहीं वो अपने जीवनसाथी को नाराज़ ना कर दे
एक प्रेम से वंचित छोटी मासूम लड़की एक सुन्दर युवक से मिलती है इस उम्मीद में कि वो उसके जीवन के खालीपन को भर देगा, वो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार थी अपनी नासमझी में वो सोचती रही कि इस सबसे वो उसका प्रेम पा सकेगी उसके प्रति उस युवक की भावनाएं बल और वासना की थीं, प्रेम की नहीं! ये आदमी आत्ममोही था और उसके प्रति निष्ठा रखकर वो अंततः दुखी ही हुई - पूर्ण विश्वासघात - प्रयोग और प्रताड़ित
सोलह की उम्र में पिछवाड़े के
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  • Geräte: eReader
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Produktbeschreibung
वो कैसे छोड़ सकती थी? उसके ऊपर डर की एक अजीब सी पकड़ थी! और फिर भी, वो कैसे जारी रखती? वो फंसा हुआ महसूस करती! वो निरंतर इस डर में रहती कि कहीं वो अपने जीवनसाथी को नाराज़ ना कर दे

एक प्रेम से वंचित छोटी मासूम लड़की एक सुन्दर युवक से मिलती है इस उम्मीद में कि वो उसके जीवन के खालीपन को भर देगा, वो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार थी अपनी नासमझी में वो सोचती रही कि इस सबसे वो उसका प्रेम पा सकेगी उसके प्रति उस युवक की भावनाएं बल और वासना की थीं, प्रेम की नहीं! ये आदमी आत्ममोही था और उसके प्रति निष्ठा रखकर वो अंततः दुखी ही हुई - पूर्ण विश्वासघात - प्रयोग और प्रताड़ित

  • सोलह की उम्र में पिछवाड़े के आँगन में गर्भपात
  • एक ऐसे आदमी से शादी जो सिर्फ अपनी परवाह करता है
  • सांस्कृतिक भिन्नता - डर और शर्म का इस्तेमाल उसका फायदा उठाने के लिए
  • शारीरिक शोषण - पहले सात सालों में समर्पण के लिए पिटाई और थप्पड़ का प्रयोग
  • फिर मानसिक नियंत्रण - उसे सिर्फ एक नज़र डालनी होती थी और वो डर से जम जाती थी - उसका आत्मविश्वास और आत्मसम्मान छीन लिया गया था, और फिर चिंता और डर
  • आध्यात्मिक शोषण - आध्यात्मिक स्वतंत्रता नहीं थी इश्वर के प्रति अपने विश्वास के लिए वह प्रताड़ित की जाती और उसकी खिल्ली उड़ाई जाती
  • वो अपने बच्चों को प्रताड़ित होते देखती और अगर रोकने की कोशिश करती तो उसे हिंसा का सामना करना पड़ता
  • उसे लगातार अपने पति की बेवफाई का पता चलता


इस कहानी में आप पढेंगे कैसे एक एकाकी लड़की एक ऐसे जाल में फंस जाती है कि उसे कोई रास्ता नहीं सूझता ये ऐसे समय की कहानी है जबकि घरों की परेशानियों के बारे में बातें नहीं की जाती थीं, तो उसे नहीं मालूम था कि वो कहाँ जाए और सज़ा पाने के डर से, वो प्रशासन के पास जाने से भी डर रही थी

इश्वर का ज्ञा


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