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  • Format: ePub

अध्यात्म की ओर मेरा पथ यह मेरी प्रथम पुस्तक है। इसमें मैंने अपने अनुभवों को बहुत ही सहज भाषा में लिखा है। यह मेरे लिए एक पवित्र पुस्तक है। इसे लिखने का मेरा उद्देश्य आम लोगों को अध्यात्म की ओर ले जाना है। इसके अलावा ब्रहमाण्ड एवं देवी माँ के आर्शीवाद से निम्न विषयों पर रोशनी डाली है। जप-तप और उनके अनुभव रेकी उपचार, ऐन्जेल हीलिंग पूर्व-जन्म की यात्रा और उसके अनुभव जीवन परिवर्तन। ब्रहमाण्ड सम्बन्धी चिंतन साधना की भूमिका-इस पुस्तक को सम्पूर्ण करने में ब्रहमाण्ड एवं माँ की शक्ति सदा मेरे साथ रही। आशा करती हूँ कि यह पुस्तक आपको पसन्द आयेगी।

  • Geräte: eReader
  • mit Kopierschutz
  • eBook Hilfe
  • Größe: 4.43MB
Produktbeschreibung
अध्यात्म की ओर मेरा पथ यह मेरी प्रथम पुस्तक है। इसमें मैंने अपने अनुभवों को बहुत ही सहज भाषा में लिखा है। यह मेरे लिए एक पवित्र पुस्तक है। इसे लिखने का मेरा उद्देश्य आम लोगों को अध्यात्म की ओर ले जाना है। इसके अलावा ब्रहमाण्ड एवं देवी माँ के आर्शीवाद से निम्न विषयों पर रोशनी डाली है। जप-तप और उनके अनुभव रेकी उपचार, ऐन्जेल हीलिंग पूर्व-जन्म की यात्रा और उसके अनुभव जीवन परिवर्तन। ब्रहमाण्ड सम्बन्धी चिंतन साधना की भूमिका-इस पुस्तक को सम्पूर्ण करने में ब्रहमाण्ड एवं माँ की शक्ति सदा मेरे साथ रही। आशा करती हूँ कि यह पुस्तक आपको पसन्द आयेगी।


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Autorenporträt
मैं सुनीता वर् मा, एक साधारण परिवार में जन्मी हूँ। मेरे माता-पिता एक मध्यवर्गीय परिवार के थे। मेरी माताजी सुलझे हुए व्यक्तित्व की थी, जिन्होंने हमें बहुत अच्छे संस्कार दिए और सदा ही हमारा मार्ग दर्शन किया। उन्होंने हमें उच्च शिक्षा दिलवाई और किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने से नहीं रोका और हमारे हर बढ़ते कदम पर हमारा साथ दिया। जीवन के हर संघर्ष में वे हमारे साथ थी और हमारा पथ प्रदर्श न करती रहीं। आज वे हमारे बीच नहीं हैं, परन्तु उनकी बहुमूल्य शिक्षा एं एवं संस्कार हमारे साथ हैं। हमारी माताजी ब्रहममुहूर्त में उठकर ध्यान में बैठती थी, यही मार्ग आगे चलकर मैंन अपनाया।