सरिता तथा जाह्नवी में सन् 1972 में इनके व्यंग्य लगातार छपते रहे। सरिता का 'गीतोपदेश' और जाह्नवी का 'अंत समय पछताएगा' उस समय में चर्चित रहे जबकि व्यंग्य को आज की तरह मान्यता प्राप्त नहीं थी। उसके बाद नौवें दशक में दैनिक भास्कर तथा दैनिक ट्रिब्यून में धारावाहिक रूप से व्यंग्य आते रहे। अमर उजाला, नवभारत टाईम्ज, हिंदुस्तान टाईम्ज, गिरिराज जैसे समाचार पत्रों के अलावा आउटलुक, इन्द्रप्रस्थ भारती, साक्षात्कार, मधुमति, साहित्य अमृत, हिमप्रस्थ, से ले कर समहुत और व्यंग्य यात्रा तक व्यंग्य देखने को मिलते रहे।
इनकी व्यंग्य रचनाएं अनेक संकलनों में संकलित की जा चुकी हैं।
प्रेम जनमेजय द्वारा संपादित 'मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचना', डाॅ. रामकुमार घोटड़
द्वारा संपादित 'इक्कीसवीं सदी के प्रतिनिधि व्यंग्य' तथा 'इक्कीसवीं सदी के चर्चित व्यंग्य' आदि में इन्हें स्थान दिया गया है।
2015 में इन्हंे व्यंग्य यात्रा सम्मान भी मिला।
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