राजस्थान साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित "'देवीलाल सागर पुरस्कार" से सम्मानित लेखक 'श्याम कुमार पोकरा'
यह कृति 'बेलदार' शोषित मजदूरों के संघर्षमय क्लिष्ट जीवन का दर्पण सी लगती है। स्वतंत्रता के पश्चात् देश की तमाम परिस्थितियों में परिवर्तन आया है। किन्तु खदान मजदूरों को जीवन परिस्थितियों में अभी तक कोई खास सुधार नहीं हो पाया है। उनकी मजदूरी उनके श्रम से कम मुध्य पर निर्धारित है और शोषक वर्ग की बेईमानी, छल-छदम अपनी भूमिका निभाते हुए उनके भौतिक और नैतिक जीवनाधार को ऐनकेन प्रकार से कुप्रभावित करते रहते हैं। पत्थर की खदानों का काम बहुत अधिक कठोर व कष्टपूर्ण होता है। खदान मजदूरों की सरलता व अबोधता का खदान मालिक तरह-तरह से लाभ उठाते हैं और उनका शारीरिक व मानसिक शोषण करते हैं। इतना ही नहीं वे धन-बल से इस दुष्कर्म में तमाम. सरकारी अमले को भी किस प्रकार अपना बना लेते हैं, 'बेलदार' का कथानक इसका सच्चा साक्ष्य प्रस्तुत करता है।
श्याम कुमार पोकरा
जन्म : सात जुलाई 1961, गाँव - रिछड़ीया, तह, रामगंजमंडी, जिला-कोटा (राज.)
शिक्षा: आईईटी ई. नई दिल्ली से इलेक्ट्रानिक्स स्व टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में डिग्री।
कृतित्व : दो टेलीफिल्में रिश्ता नाता एवं डाद देवी माता"। पांच कथा संग्रह, 'मजदूर मंडी, भारत मेरा देश है', 'आम का दरिया, सांझ के पछी व समंदर की लहरें। तीन नाट्य संग्रह मैली चादर 'इस्पात के खण्डहर व रोजगार महाराज। नवनीत, राजस्थान पत्रिका, प्रगतिशील आकहप, समाज कल्याण, समर लोक, समय माजरा, राष्ट्रधर्म, जानवी, प्रशान्त ज्योति, अणुशक्ति, गुरूजन प्रताप, जागृति मधुमती मधुरिमा अक्षर शिल्पी, अहल्या शुभ तारिका आदि पत्रिकाओं में कई रचनाएं प्रकाशित।
पुरस्कार/सम्मान : राजस्थान साहित्य अकादमी का 'देवीलाल सागर पुरस्कार। अखिल भारतीय साहित्य संगम उदयपुर (राज) का साहित्य दिवाकर सम्मान। श्री भारतेन्दु समिति कोटा का 'साहित्यश्री' सम्मान। जवाहर कला केन्द्र जयपुर द्वारा चार नाटक मैली चादर, आजाद की आवाज 'डॉन' व 'रिश्ता नाता पुरस्कृत।
संप्रति : भारत सरकार के परमाणु उर्जा विभाग के अन्तर्गत भारी पानी संयत्र (कोटा) रावतभाटा से सेवानिवृत्त।
यह कृति 'बेलदार' शोषित मजदूरों के संघर्षमय क्लिष्ट जीवन का दर्पण सी लगती है। स्वतंत्रता के पश्चात् देश की तमाम परिस्थितियों में परिवर्तन आया है। किन्तु खदान मजदूरों को जीवन परिस्थितियों में अभी तक कोई खास सुधार नहीं हो पाया है। उनकी मजदूरी उनके श्रम से कम मुध्य पर निर्धारित है और शोषक वर्ग की बेईमानी, छल-छदम अपनी भूमिका निभाते हुए उनके भौतिक और नैतिक जीवनाधार को ऐनकेन प्रकार से कुप्रभावित करते रहते हैं। पत्थर की खदानों का काम बहुत अधिक कठोर व कष्टपूर्ण होता है। खदान मजदूरों की सरलता व अबोधता का खदान मालिक तरह-तरह से लाभ उठाते हैं और उनका शारीरिक व मानसिक शोषण करते हैं। इतना ही नहीं वे धन-बल से इस दुष्कर्म में तमाम. सरकारी अमले को भी किस प्रकार अपना बना लेते हैं, 'बेलदार' का कथानक इसका सच्चा साक्ष्य प्रस्तुत करता है।
श्याम कुमार पोकरा
जन्म : सात जुलाई 1961, गाँव - रिछड़ीया, तह, रामगंजमंडी, जिला-कोटा (राज.)
शिक्षा: आईईटी ई. नई दिल्ली से इलेक्ट्रानिक्स स्व टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में डिग्री।
कृतित्व : दो टेलीफिल्में रिश्ता नाता एवं डाद देवी माता"। पांच कथा संग्रह, 'मजदूर मंडी, भारत मेरा देश है', 'आम का दरिया, सांझ के पछी व समंदर की लहरें। तीन नाट्य संग्रह मैली चादर 'इस्पात के खण्डहर व रोजगार महाराज। नवनीत, राजस्थान पत्रिका, प्रगतिशील आकहप, समाज कल्याण, समर लोक, समय माजरा, राष्ट्रधर्म, जानवी, प्रशान्त ज्योति, अणुशक्ति, गुरूजन प्रताप, जागृति मधुमती मधुरिमा अक्षर शिल्पी, अहल्या शुभ तारिका आदि पत्रिकाओं में कई रचनाएं प्रकाशित।
पुरस्कार/सम्मान : राजस्थान साहित्य अकादमी का 'देवीलाल सागर पुरस्कार। अखिल भारतीय साहित्य संगम उदयपुर (राज) का साहित्य दिवाकर सम्मान। श्री भारतेन्दु समिति कोटा का 'साहित्यश्री' सम्मान। जवाहर कला केन्द्र जयपुर द्वारा चार नाटक मैली चादर, आजाद की आवाज 'डॉन' व 'रिश्ता नाता पुरस्कृत।
संप्रति : भारत सरकार के परमाणु उर्जा विभाग के अन्तर्गत भारी पानी संयत्र (कोटा) रावतभाटा से सेवानिवृत्त।
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