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  • Format: ePub

इस पुस्तक में आपको केवल एक ही रंग 'बेरोज़गारी' का नहीं दिखाई देगा। इसमें बहुत सारे ऐसे सामाजिक मुद्दे हैं जिनके लिए आज के समय में आवाज़ उठाना बहुत आवश्यक है। जैसे-जैसे आप पुस्तक को पढ़ेंगे आपको समाज के कई सारे मुद्दे उसमें दिखाई देंगे जिन्हें मैंने अपने शब्दों द्वारा आप सब के समक्ष रखने का प्रयास किया है।
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उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में पैदा हुईं युवा लेखिका दिव्यलक्ष्मी चन्द्रा (Divya shukla) अपनी कविताओं द्वारा बेरोज़गारी के मुद्दे को हमेशा उठाती रही हैं क्योंकि वह स्वयं भी पिछले तीन सालों से वैकेंसी का इंतजार कर रही हैं। इन्हें सामाजिक मुद्दों को अपनी कविताओं के जरिए उठाना बहुत
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  • Geräte: eReader
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  • eBook Hilfe
  • Größe: 0.24MB
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Produktbeschreibung
इस पुस्तक में आपको केवल एक ही रंग 'बेरोज़गारी' का नहीं दिखाई देगा। इसमें बहुत सारे ऐसे सामाजिक मुद्दे हैं जिनके लिए आज के समय में आवाज़ उठाना बहुत आवश्यक है। जैसे-जैसे आप पुस्तक को पढ़ेंगे आपको समाज के कई सारे मुद्दे उसमें दिखाई देंगे जिन्हें मैंने अपने शब्दों द्वारा आप सब के समक्ष रखने का प्रयास किया है।

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उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में पैदा हुईं युवा लेखिका दिव्यलक्ष्मी चन्द्रा (Divya shukla) अपनी कविताओं द्वारा बेरोज़गारी के मुद्दे को हमेशा उठाती रही हैं क्योंकि वह स्वयं भी पिछले तीन सालों से वैकेंसी का इंतजार कर रही हैं। इन्हें सामाजिक मुद्दों को अपनी कविताओं के जरिए उठाना बहुत भली-भांति आता है। ये युवाओं और महिलाओं के मनोभाव को बड़ी सरलता से चंद लाइनों में सबके समक्ष रख देती हैं। ये देश और समाज में चल रहे सोशल मीडिया के एक राइटिंग प्लेटफार्म पर ही इन्हें एक लेखक के द्वारा एक उपनाम (soullaminator) प्रदान किया गया। यह दिव्यलक्ष्मी चंद्रा की पहली पुस्तक है जिसमें इन्होंने देश के नौजवान, महिला, किसान और सियासत के मुद्दे को उठाया है। रूढ़िवादी परंपरा, सियासत तथा अन्य सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपने विचारों को व्यक्त करती हैं। सोशल मीडिया पर उनके बहुत सारे विचारों का लोगों ने बहुत अधिक समर्थन किया और उन्हें स्नेह और आशीर्वाद प्रदान किया।


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