मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है अतः अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को अपने आस-पास के पात्रों को संजाकर वह 'दैनीन्दिन' की घटनाओं के आस-पास और ''दाम्पत्य जीवन के हर्ष-विषाद' को प्रस्तुत करके संतुष्ट होता है अर्थात् ये कहानियाँ पारिवारिक सामाजिक जीवन पर केन्द्रित होती है। इसमें सामाजिक समस्याएँ, परम्पराए और सुख दुःख की छोटी-बड़ी सभी अनुभूतियों भी है। इसके अंतर्गत गोड़-गोड़िन के दाम्पत्य जीवन की प्रचलित छत्तीसगढ़ी लोककथा को उदाहरणार्थ रखा जा सकता है।
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