लोअर मिडिल-क्लास' हमारे समाज की पुरानी व्यवस्था एवं उसके रीति-रिवाज व मर्यादा का निर्वाह करने में हमेशा से सफल रहा है परन्तु अब उसका 'युवा-वर्ग' आज के परिवर्तनों में तेजी से बदलाव की ओर झुका है। इन दिनों 'निजी-संबंधों' को लेकर हमारा 'कानून' भी अपेक्षाकृत काफी उदार हुआ है और ये 'लिबर्टी' युवाओं को परोक्ष-रूप से आकर्षित तो करती ही है। युवा अब हताश है,..क्योंकि करना तो वह भी बहुत कुछ चाहता है लेकिन एक 'लोअर-मेंटालिटी' उसके 'घर की परिस्थिति' व 'संस्कारों' का वास्ता देकर उसको अपने कदम पीछे खींच लेने को बाध्य करती है;.. नतीजा- कुंठा और मानसिक-अशांति! युवाओं की 'इमोशनल-थ्रस्ट' को नकारना घातक है, भावनाएं 'हर्ट' होती हैं तो 'युवा' टूटता है, हादसे होते हैं। यौवन की पहली 'मांग' है- 'इमोशनल-जस्टिस'! जिंदगी की 'इमोशनल-वेव' को 'किलोमीटरों' में नहीं;..उसे तो 'सेंटीमीटर' जैसे छोटे-छोटे 'सेगमेंट' में ही 'एचीव' किया जा सकता है।
---
जीवन प्रकाश, जन्म 6 अगस्त 1947, मतलब कि 'ओनली नाइन डेज बिफोर' ! तभी से 'इमोशनली' देश के साथ कंधे से कंधा सटाए भविष्य की ओर एक-एक कदम आगे बढ़ता,आजादी के 76 पार करके अमृत-काल की सुखद अनुभूतियों में भीतर ही भीतर उत्साहित और रोमांचित ! शिक्षा में बी.एससी.,..और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा। लगभग 36 वर्ष तक बिजली व्यवस्था में खपे रहकर अंत में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में सहायक अभियंता के पद से सेवानिवृत्ति। लिखने का शौक तो बचपन से ही! पहली कहानी 'निर्भीक' 1972 में दिल्ली प्रेस की पत्रिका 'मुक्ता' से प्रकाशित। फिर आकाशवाणी लखनऊ द्वारा आयोजित 'नाटक एवं लघुकथा लेखन प्रतियोगिता' में भेजी कहानी 1975 में पुरस्कृत,.बाद के दशक में तो आकाशवाणी लखनऊ से ही तमाम विनोद-वार्ताओं व रोचक-हास्य प्रसंगों के प्रसारण का एक सिलसिला-सा,.. सौभाग्यवश! तभी व्यंग्य-विधा में झुकाव बढ़ा तो फिर 'स्वतंत्र भारत' और 'दैनिक जागरण' जैसे तत्कालीन प्रचलित समाचार-पत्रों से शुरुआत कर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 'हास्य-व्यंग्य' लेखन-प्रकाशन का एक लम्बा दौर चला। नन्हे बच्चों में भी रुचि रही तो बच्चों के लिए भी प्रेरक हास्य कथाएं तमाम बाल पत्र-पत्रिकाओं यथा 'लोटपोट' ,'चंपक' आदि में यदा-कदा प्रकाशित! पहला उपन्यास 'सदर चौखट' हिन्द-युग्म द्वारा प्रकाशित,.. उपन्यास लेखन का यह दूसरा प्रयास ! स्थाई निवास-लखनऊ [उ.प्र.], पत्नी 'मधु 'के निधन के बाद आजकल पुत्र 'विवेक' के पास ही बेंगलुरु [कर्नाटक] में ,.. जहां पुत्रवधू 'अंकिता', पौत्री 'ईशा' व पौत्र 'अश्विन' भी साथ में!
---
जीवन प्रकाश, जन्म 6 अगस्त 1947, मतलब कि 'ओनली नाइन डेज बिफोर' ! तभी से 'इमोशनली' देश के साथ कंधे से कंधा सटाए भविष्य की ओर एक-एक कदम आगे बढ़ता,आजादी के 76 पार करके अमृत-काल की सुखद अनुभूतियों में भीतर ही भीतर उत्साहित और रोमांचित ! शिक्षा में बी.एससी.,..और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा। लगभग 36 वर्ष तक बिजली व्यवस्था में खपे रहकर अंत में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में सहायक अभियंता के पद से सेवानिवृत्ति। लिखने का शौक तो बचपन से ही! पहली कहानी 'निर्भीक' 1972 में दिल्ली प्रेस की पत्रिका 'मुक्ता' से प्रकाशित। फिर आकाशवाणी लखनऊ द्वारा आयोजित 'नाटक एवं लघुकथा लेखन प्रतियोगिता' में भेजी कहानी 1975 में पुरस्कृत,.बाद के दशक में तो आकाशवाणी लखनऊ से ही तमाम विनोद-वार्ताओं व रोचक-हास्य प्रसंगों के प्रसारण का एक सिलसिला-सा,.. सौभाग्यवश! तभी व्यंग्य-विधा में झुकाव बढ़ा तो फिर 'स्वतंत्र भारत' और 'दैनिक जागरण' जैसे तत्कालीन प्रचलित समाचार-पत्रों से शुरुआत कर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 'हास्य-व्यंग्य' लेखन-प्रकाशन का एक लम्बा दौर चला। नन्हे बच्चों में भी रुचि रही तो बच्चों के लिए भी प्रेरक हास्य कथाएं तमाम बाल पत्र-पत्रिकाओं यथा 'लोटपोट' ,'चंपक' आदि में यदा-कदा प्रकाशित! पहला उपन्यास 'सदर चौखट' हिन्द-युग्म द्वारा प्रकाशित,.. उपन्यास लेखन का यह दूसरा प्रयास ! स्थाई निवास-लखनऊ [उ.प्र.], पत्नी 'मधु 'के निधन के बाद आजकल पुत्र 'विवेक' के पास ही बेंगलुरु [कर्नाटक] में ,.. जहां पुत्रवधू 'अंकिता', पौत्री 'ईशा' व पौत्र 'अश्विन' भी साथ में!
Dieser Download kann aus rechtlichen Gründen nur mit Rechnungsadresse in A, B, CY, CZ, D, DK, EW, E, FIN, F, GR, H, IRL, I, LT, L, LR, M, NL, PL, P, R, S, SLO, SK ausgeliefert werden.