सामाजिक ताना-बाना, पल-पल बदलते इंसानी मन और सामाजिक प्रथाओं में उलझी ज़िन्दगी इस कहानी का मुख्य बिंदु है। यह पुस्तक पूर्ण रूप से पाठकों के भरपूर मनोरंजन को ध्यान में रख कर लिखी गयी है और इसका मकसद समाज में व्याप्त धार्मिक उन्माद के ख़तरों को उजागर करना है। यह समाज में प्रेम और सदभाव का सन्देश देती है। उम्मीद है कि सभी पाठकों को यह बहुत पसंद आएगी।
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पेशे से अभियंता (इंजीनियर), युवा हिन्दी लेखक आकाश द्वीप सिंह मूल रूप से आगरा, उत्तर प्रदेश से ताल्लुक़ रखते हैं किन्तु इस समय टनकपुर, उत्तराखण्ड में कार्यरत हैं। प्राथमिक शिक्षा के बाद अभियांत्रिकी में स्नातक की शिक्षा आगरा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से हासिल की है। तत्पश्चात् स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रयागराज में दाखिला लिया। परन्तु यहाँ ज़्यादा दिन मन ना लगने के कारण नौकरी की तलाश शुरू कर दी, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज, हज़ीरा, गुजरात में आकर ख़त्म हुई। चंचल मन यहाँ भी ना टिक सका और अप्रैल २०१० में तीन साल बाद ही नौकरी से त्याग पत्र देकर घर आ गए। इसके बाद का कुछ समय आजीविका के संघर्ष का समय था जिसका डट कर सामना किया और दिसंबर आते-आते एक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई में अभियंता के पद से अपनी आजीविका की पुनः शुरुआत की। इनकी शिक्षा अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों से हुई है किन्तु हिन्दी भाषा से प्रेम लगातार बना हुआ है।
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पेशे से अभियंता (इंजीनियर), युवा हिन्दी लेखक आकाश द्वीप सिंह मूल रूप से आगरा, उत्तर प्रदेश से ताल्लुक़ रखते हैं किन्तु इस समय टनकपुर, उत्तराखण्ड में कार्यरत हैं। प्राथमिक शिक्षा के बाद अभियांत्रिकी में स्नातक की शिक्षा आगरा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से हासिल की है। तत्पश्चात् स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रयागराज में दाखिला लिया। परन्तु यहाँ ज़्यादा दिन मन ना लगने के कारण नौकरी की तलाश शुरू कर दी, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज, हज़ीरा, गुजरात में आकर ख़त्म हुई। चंचल मन यहाँ भी ना टिक सका और अप्रैल २०१० में तीन साल बाद ही नौकरी से त्याग पत्र देकर घर आ गए। इसके बाद का कुछ समय आजीविका के संघर्ष का समय था जिसका डट कर सामना किया और दिसंबर आते-आते एक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई में अभियंता के पद से अपनी आजीविका की पुनः शुरुआत की। इनकी शिक्षा अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों से हुई है किन्तु हिन्दी भाषा से प्रेम लगातार बना हुआ है।
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