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  • Format: ePub

अपने जीवन में हम अनेक उलझनों का सामना करते हैं। हम हमेशा उनके उत्तर पाना चाहते हैं। इस पुस्तक में लेखक ने गीता के आधार पर उन प्रश्नों के उत्तर खोजने की कोशिश है, जो निरंतर हमें सालते हैं, जैसे :
आत्मविश्वास का क्या महत्त्व होता है? | क्या सबके साथ अच्छा व्यवहार करना एक कमज़ोरी है? | क्या यह जीवन और शरीर भ्रम है? | क्या हमें अपनी प्रतिष्ठा की चिंता करनी चाहिए? | विचार या कर्म में से कौन श्रेष्ठ है? | हमें अपने कर्मों के अनुसार फल क्यों नहीं मिलता? | लोग भगवान की पूजा क्यों करते हैं? | अच्छाई और बुराई के बीच का संघर्ष कब समाप्त होगा?
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सरकारी बैंक में उच्च पदस्थ, वरिष्ठ लेखक निहार
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  • Geräte: eReader
  • mit Kopierschutz
  • eBook Hilfe
  • Größe: 0.55MB
Produktbeschreibung
अपने जीवन में हम अनेक उलझनों का सामना करते हैं। हम हमेशा उनके उत्तर पाना चाहते हैं। इस पुस्तक में लेखक ने गीता के आधार पर उन प्रश्नों के उत्तर खोजने की कोशिश है, जो निरंतर हमें सालते हैं, जैसे :

  • आत्मविश्वास का क्या महत्त्व होता है?
  • क्या सबके साथ अच्छा व्यवहार करना एक कमज़ोरी है?
  • क्या यह जीवन और शरीर भ्रम है?
  • क्या हमें अपनी प्रतिष्ठा की चिंता करनी चाहिए?
  • विचार या कर्म में से कौन श्रेष्ठ है?
  • हमें अपने कर्मों के अनुसार फल क्यों नहीं मिलता?
  • लोग भगवान की पूजा क्यों करते हैं?
  • अच्छाई और बुराई के बीच का संघर्ष कब समाप्त होगा?


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सरकारी बैंक में उच्च पदस्थ, वरिष्ठ लेखक निहार शतपथी जी अंग्रेज़ी साहित्य में परास्नातक हैं। शतपथी जी ने अपने जीवन की शुरुआत एक अग्रेज़ी अख़बार में सम्पादकीय डेस्क से की थी। तत्पश्चात् सरकारी बैंक से जुड़े और विभिन्न पदों पर कार्य किया। इसी दौरान इन्होंने व्यवसाय प्रबन्धन एवं बैंकिंग में अतिरिक्त शिक्षा भी हासिल की। इनके द्वारा सामाजिक एवं सांस्कृतिक मुद्दों पर लिखे कई लेख अख़बारों और जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। इनकी पहली प्रकाशित पुस्तक, लघु कथाओं का एक संकलन, इनकी मातृभाषा ओडिया में वर्ष 2005 में प्रकाशित हुई थी। शतपथी जी को लघु फिल्मों का निर्देशन, वीडियो वृत्तचित्र एवं फिल्म समीक्षा लिखने का ख़ासा शौक है। शतपथी जी अपने वेब पोर्टल के माध्यम से ओडिशा के पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं।


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