एक जो लिखी गई है ताजोर्बो के बाद इस किताब में मेरी जिंदगी के अहसास, तजुर्बे और हकीक़त को कोरे कागज पर उतारा है इसमें जिंदगी की हकीक़त, माँ बाप का प्यार, सियासत और इश्क को बेशुमार है मुझे चर्बी लिखने की आदत नहीं, मैं अदब लिखता हूँ मेरी किताबों को हर कोई पढ़ सकता है वैसे मैं इतना लिखता नहीं हूँ मैं अपनी बात बहुत ही कम अलफ़ाजो में कह देता हूँ मैं कभी कभी ही लिखता हूँ और बहुत कम लिखता हूँ आप मेरी शायरी को अपनी जिंदगी से, आपने माँ-बाप से, अपने बहिन-भाई से, अपने इश्क़ से या सियासत से और अपने किसी एहसास में उतर सकते है ऐसा बिलकुल नहीं है की मैं अपने इश्क के लिये लिखता हूँ मैं अपने हर एहसास को अपने इश्क से नवाज़ देता हूँ ताकि आप इसे मेरे अहसास न समझे मैं चाहता हूँ की आप मेरे अहसासों को अपने अहसास अपनी जिंदगी में उतारे कोई भी मेरी अलफ़ाजो का ग़लत मतलब ना निकाले जो मैं बयां करना चाहता हूँ उसे महसूस करे स्वागत है आपका पाकीज़ा में About the Author Akil Ahmed Saifi was born on 06/09/1999 in Delhi, his father has a small business in Delhi and mother is a Housewife. The author has studied class 10th grade CBSE Board from Delhi and now the School of Correspondence School (Open Learning) is doing 12th class from Delhi and besides, Jamia Millia Islamia (Open Learning) is a diploma in Urdu from Delhi and the National Urdu Language Development The Council is working on a one-way diploma in Urdu from Delhi. The author was born in a middle Muslim family. At the age of 17 he wrote his first creation, The born of love' and the second creation Pakiza.
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