4,99 €
4,99 €
inkl. MwSt.
Sofort per Download lieferbar
payback
0 °P sammeln
4,99 €
4,99 €
inkl. MwSt.
Sofort per Download lieferbar

Alle Infos zum eBook verschenken
payback
0 °P sammeln
Als Download kaufen
4,99 €
inkl. MwSt.
Sofort per Download lieferbar
payback
0 °P sammeln
Jetzt verschenken
4,99 €
inkl. MwSt.
Sofort per Download lieferbar

Alle Infos zum eBook verschenken
payback
0 °P sammeln
  • Format: ePub

हमें राम के बारे मे तो बहुत ज्ञान है किन्तु क्या हमें रावण के बारे में भी समुचित जानकारी है जो रामायण की रचना का कारण है? रावण कौन था? वो कहाँ से आया था? था? उसका उद्देष्य क्या था? उसकी आकांक्षा क्या थी और क्यों उसने सीताहरण जैसा कुत्सित कार्य किया? शूर्पणखा कैसे विधवा हुई और क्यों उसे अपना वैधव्य जीवन व्यतीत करने के लिये दण्डकारण्य वन जाना पड़ा इन्हीं सब प्रष्नों का उल्लेख इस काव्योपन्यास में किया गया है जिसकी प्रेरणा रचनाकार को आचार्य चतुरसेन शास्त्री द्वारा लिखित किताब ''वयम् रक्षामः'' से मिली।

  • Geräte: eReader
  • mit Kopierschutz
  • eBook Hilfe
  • Größe: 2.16MB
  • FamilySharing(5)
Produktbeschreibung
हमें राम के बारे मे तो बहुत ज्ञान है किन्तु क्या हमें रावण के बारे में भी समुचित जानकारी है जो रामायण की रचना का कारण है? रावण कौन था? वो कहाँ से आया था? था? उसका उद्देष्य क्या था? उसकी आकांक्षा क्या थी और क्यों उसने सीताहरण जैसा कुत्सित कार्य किया? शूर्पणखा कैसे विधवा हुई और क्यों उसे अपना वैधव्य जीवन व्यतीत करने के लिये दण्डकारण्य वन जाना पड़ा इन्हीं सब प्रष्नों का उल्लेख इस काव्योपन्यास में किया गया है जिसकी प्रेरणा रचनाकार को आचार्य चतुरसेन शास्त्री द्वारा लिखित किताब ''वयम् रक्षामः'' से मिली।


Dieser Download kann aus rechtlichen Gründen nur mit Rechnungsadresse in A, B, CY, CZ, D, DK, EW, E, FIN, F, GR, H, IRL, I, LT, L, LR, M, NL, PL, P, R, S, SLO, SK ausgeliefert werden.

Autorenporträt
आपका जन्म 21-05-1923 को इन्दौर में हुआ था आपकी शिक्षा दीक्षा इन्दौर तथा सनावद में हुई। 1946 में खण्डवा शहर के शा. बहु. उच्च माध्य. विद्यालय से शिक्षक के रूप में जीवन प्रारंभ किया। शिक्षण कार्य के साथ साथ स्नातक परीक्षा पास की। वर्ष 1956 में राजपत्रित अधिकारी के रूप में खण्डवा में ही जिला ग्रंथपाल के पद पर आरूढ़ हुए। कुशल प्रशासक के साथ साथ कवि हृदय होने के कारण लेखन भी जारी रहा। नवंबर 1965 से मई 1972 तक तकरीबन साढ़े छः वर्ष तक खण्डवा में जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर रहे प्रशासनिक पदों पर रहते हुये भी साहित्य में इन्हें विशेष रुचि थी आपकी कवितायें प्रायः विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती थीं। आपने राम चरित मानस का गहन अध्ययन किया, एवं वर्ष 1965 में इस काव्य 'रक्षेन्द्र पतन' की रचना प्रारम्भ की जो वर्ष 1978-79 में जब लगभग पूर्णता को थी, उसी समय 22 नवम्बर 1979 को आपका स्वर्गवास हो गया। डा. वनिता वाजपेयी ने इस काव्य को पूर्ण करने में अथक परिश्रम किया। और अंततः मैं इस काव्य को प्रकाशित करने में समर्थ होसका।