वर्तमान परिवेश में सामाजिक मूल्यों के पतन और मानव जीवन की कभी न पूरी होने वाली लालसाओं का दुखद अंत ही उपन्यास का मूल है। अतीत को याद कर अपने परिवार के प्रति उदासीन संजय, अपने पति के प्रेम द्वारा उपेक्षित की गई गरिमा, अपनी यौन आकांक्षा और लालसाओं में फंसी दीपिका, बदले की आग में झुलसता अनुराग अगर सामाजिक और नैतिक मूल्यों को समझते तो शायद ये सब नियति का दुख न भोगते।
( प्रकाशक : राजमंगल प्रकाशन)
( प्रकाशक : राजमंगल प्रकाशन)
Dieser Download kann aus rechtlichen Gründen nur mit Rechnungsadresse in A, B, CY, CZ, D, DK, EW, E, FIN, F, GR, H, IRL, I, LT, L, LR, M, NL, PL, P, R, S, SLO, SK ausgeliefert werden.