यह कहानी एक तरफ़ा मोहब्बत की क़ामयाब कोशिश है। कोई इंसान जब दिल के हाथों मजबूर होकर कुछ हेरफ़ेर कर बैठता है तो कई बार उसकी इस शिद्दत को दिव्य स्वीकृति मिल जाती है। किस तरह अपने प्रेम के बीज को अपने प्रेमी के दिल में बो कर उसे विश्वास और सब्र से सींचा जाता है। यह हमारी कहानी के नायक वीर से सीखा जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ, अक्सर हम भ्रम में क़ैद होकर अपनी हठ को ही अपनी बेड़ियाँ बना लेते हैं। बिना यह समझे कि सच्चाई कब से हमारी आँखों के सामने खड़ी है। वह सच्चाई जो मीत की क़िस्मत में थी लेकिन वह उस रात की छाप की गिरफ़्त में होते उसे देख नहीं सकी।
यह कहानी एक और मुद्दे को सामने लाती है कि विज्ञान और ज्योतिष विद्या जैसे साधन इंसान को हिम्मत और सही रास्ता दिखाने के लिए हैं, ना कि गुमराह करने के लिए।
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कनाडा में रह रहीं, भारत की युवा हिन्दी लेखिका सिम्मी गुप्ता का जन्म एक सिख परिवार में हुआ था और शादी एक हिन्दू परिवार में। सिम्मी जी की ज़िन्दगी का ये पहलू भी किसी रोमांचक कहानी से कम नहीं है। सिम्मी जी ने जीव विज्ञान से स्नातक(B.Sc) किया है। शादी के बाद अपने पति के साथ अनेक देशों में रहीं और 2013 में कनाडा आकर बस गयीं। शुरूआती समय कठिन संघर्षों भरा रहा। सिम्मी की उन्हीं दिनों एक बेटी की माँ भी बन चुकीं थीं। वहाँ सिम्मी जी ने आगे की शिक्षा हासिल की और सरकारी नौकरी हासिल कर ली। किन्तु पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते कुछ समय बाद यह सरकारी नौकरी छोड़ दी। अब एक गृहणी के तौर पर पूरे परिवार को सम्हालने की ज़िम्मेदारी के साथ-साथ लिखना भी शुरू कर दिया था। सिम्मी जी हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेज़ी और पंजाबी में भी बखूबी लिखती हैं। यही नहीं, इन्हें पाक कला और किताबें पढ़ने के साथ-साथ कई भारतीय पारंपरिक नृत्यों का भी ख़ूब ज्ञान है।
यह कहानी एक और मुद्दे को सामने लाती है कि विज्ञान और ज्योतिष विद्या जैसे साधन इंसान को हिम्मत और सही रास्ता दिखाने के लिए हैं, ना कि गुमराह करने के लिए।
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कनाडा में रह रहीं, भारत की युवा हिन्दी लेखिका सिम्मी गुप्ता का जन्म एक सिख परिवार में हुआ था और शादी एक हिन्दू परिवार में। सिम्मी जी की ज़िन्दगी का ये पहलू भी किसी रोमांचक कहानी से कम नहीं है। सिम्मी जी ने जीव विज्ञान से स्नातक(B.Sc) किया है। शादी के बाद अपने पति के साथ अनेक देशों में रहीं और 2013 में कनाडा आकर बस गयीं। शुरूआती समय कठिन संघर्षों भरा रहा। सिम्मी की उन्हीं दिनों एक बेटी की माँ भी बन चुकीं थीं। वहाँ सिम्मी जी ने आगे की शिक्षा हासिल की और सरकारी नौकरी हासिल कर ली। किन्तु पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते कुछ समय बाद यह सरकारी नौकरी छोड़ दी। अब एक गृहणी के तौर पर पूरे परिवार को सम्हालने की ज़िम्मेदारी के साथ-साथ लिखना भी शुरू कर दिया था। सिम्मी जी हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेज़ी और पंजाबी में भी बखूबी लिखती हैं। यही नहीं, इन्हें पाक कला और किताबें पढ़ने के साथ-साथ कई भारतीय पारंपरिक नृत्यों का भी ख़ूब ज्ञान है।
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