उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक भौतिकी का विकास न्यूटन प्रणीत सिद्धांतों के अनुसार हो रहा था. प्रत्येक नए आविष्कार या प्रायोगिक फल को इन सिद्धांतों के दृष्टिकोण से देखा जाता था और आवश्यक नई परिकल्पनाएँ बनाई जाती थीं. न्यूटन की शास्त्रीय भौतिकी में यह कहा जाता था कि ब्रह्मांड में हर जगह समय (काल) की गति एक ही है. अगर आप एक जगह टिककर बैठे हैं और आपका कोई मित्र प्रकाश से आधी गति की रफ्तार पर दस साल का सफर तय करे तो उस सफर के बाद आपके भी दस साल गुजर चुके होंगे और आपके दोस्त के भी, लेकिन आइंस्टीन ने इस पर कहा कि यह विश्वास गलत है. जब कोई चीज गति से चलती है, उसके लिए समय धीमा हो जाता है और वह जितना तेज चलती है, समय उतना ही धीमा हो जाता है. आपका मित्र अगर अपने हिसाब से दस वर्ष तक रोशनी से आधी गति पर यात्रा करके लौट आए तो उसके तो दस साल गुजरेंगे, लेकिन आपके साढ़े ग्यारह साल गुजर चुके होंगे.
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