जीवन अनिश्चितता का दूसरा नाम है. शायद यही इसकी महिमा भी है. सब कुछ निश्चित हो जाने पर वह ऐसी कब्र जैसा हो जाता है, जहाँ सब कुछ हमेशा के लिए निश्चित हो गया है. महामारी से कितनी भी अव्यवस्था पैदा हुई हो लेकिन अभी भी हम इस तल तक प्रकृति को नष्ट नहीं कर पाए हैं कि, प्रकृति हमें पालपोस न सके. हालांकि हमारी तैयारी पूरी है कि हम अपनी मूढ़ताओं के फलस्वरूप होने वाले युद्धों में पूरी पृथ्वी को ही नष्ट कर बैठें. जीवन में जिस अनिश्चितता के सौभाग्य को हमने भूल से दुर्भाग्य समझ लिया है, उसे ही उसकी भरी पूरी जीवंतता में उघाड़ता यह अध्याय अनिश्चितता की महिमा के साथ हमें जीना सिखा रहा है.
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