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"दिन आज भी थोड़ा गीला " काव्य संकलन, लेखिका द्वारा अपनी विभिन्न भावनाओं की अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। अपनी किशोरावस्था में कविताओं द्वारा अपने विचारों और अहसासों को उड़ेलने का जो ज़रिया मिला वो आज भी जारी है। एक नव किशोरी के कच्चे मन की गहराइयों से लेकर एक मजबूत युवती के उद्वेलित मन तक का पूरा सफर इन कविताओं में महसूस किया जा सकता है। ये कविताएँ किसी सुनहरी सुबह की साथी भी हो सकती हैं और किसी अलसायी शाम की हमसफ़र भी। एक तरफ "शायद…" में गहरी उदासी के पलों में भी उम्मीद का उजाला झलकता है तो दूसरी तरफ "दिन आज भी थोड़ा गीला " में अपने उलझे हुए जज़्बातों की ईमानदार कश्मक़श। "तुम कौन हो?" में नए प्यार की…mehr

  • Format: mp3
  • Größe: 69MB
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Produktbeschreibung
"दिन आज भी थोड़ा गीला " काव्य संकलन, लेखिका द्वारा अपनी विभिन्न भावनाओं की अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। अपनी किशोरावस्था में कविताओं द्वारा अपने विचारों और अहसासों को उड़ेलने का जो ज़रिया मिला वो आज भी जारी है। एक नव किशोरी के कच्चे मन की गहराइयों से लेकर एक मजबूत युवती के उद्वेलित मन तक का पूरा सफर इन कविताओं में महसूस किया जा सकता है। ये कविताएँ किसी सुनहरी सुबह की साथी भी हो सकती हैं और किसी अलसायी शाम की हमसफ़र भी। एक तरफ "शायद…" में गहरी उदासी के पलों में भी उम्मीद का उजाला झलकता है तो दूसरी तरफ "दिन आज भी थोड़ा गीला " में अपने उलझे हुए जज़्बातों की ईमानदार कश्मक़श। "तुम कौन हो?" में नए प्यार की गर्माहट का मिज़ाज तो "नज़रिया " में ज़िन्दगी की गहराई की थाह लेने की एक कोशिश। हर पलटते पन्ने के साथ उभरता है, ज़िन्दगी का एक नया रंग। आप भी इस काव्य संकलन में दुनिया को कवयित्री की नज़रों से देखने का एक नायाब अनुभव लीजिये, कभी चाय की चुस्कियों के साथ तो कभी सुहाने संगीत और मद्धम बारिश की जुगलबंदी के साथ

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