क्यूबा की क्रांति का पैरा-दर-पैरा इतिहास बतानेवाली इस पुस्तक के केंद्र में फिदेल कास्त्रो का जीवन है ! वही फिदेल कास्त्रो जो आज पूरी दुनिया में साम्राज्यवाद-विरोध का प्रतीक बन चुके हैं ! मात्र पच्चीस वर्ष की आयु में मुट्ठी-भर साथियों को लेकर और बिना किसी बहरी मदद के फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा के तानाशाह बतिस्ता और उसके पोषक अमेरिकी साम्राज्यवाद को सदा-सदा के लिए क्यूबा से विदा कर दिया था ! क्यूबा के शोषित-पीड़ित किसानो, मजदूरों को क्रन्तिकारी योद्धाओं में बदनले वाले और अपने देश को सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर एक बेहतर राष्ट्र के रूप में विकसित करनेवाले फिदेल कास्त्रो ने अन्तराष्ट्रीयता की नै परिभाषाएं गढ़ीं और समूची दुनिया को हर तरह की विषमता से मुक्त करने का एक बड़ा सपना देखा ! आज इस सपने को विश्व का हर वह इन्सान अपने दिल के करीब महसूस करता है जो इस दुनिया को मनुष्य के भविष्य के लिए एक सुरक्षित आवास में बदलना चाहता है ! लेखक के व्यापक शोध और गहरी प्रतिबद्धता से उपजी यह पुस्तक न सिर्फ फिदेल के जीवन, बल्कि क्यूबा तथा शेष विश्व की उन राजनितिक-आर्थिक परिस्थियों का भी तथ्याधारित विवरण देती है जिसके बीच फिदेल का अद्भव हुआ और क्यूबा-क्रांति संभव हुई ! साथ ही इसमें क्रांति की प्रेरक उस विचार-निधि को भी पर्याप्त स्थान दिया गया है जिसके कारन फिदेल का सपना, पहले क्यूबा और फिल दुनिया के हर न्यायप्रिय व्यक्ति का संकल्प बना ! इस पुस्तक में हमें फिदेल के सबसे भरोसेमंद साथी छे गुएवारा को भी काफी नजदीक से जानने का मौका मिलता है जिनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य दुनिया में जहाँ भी साम्राज्यवाद है, उसके विरुद्ध संघर्ष करना था, और अल्प आयु में ही जीवन बलिदान करने के बावजूद जो आज हर जागरूक युवा ह्रदय में जीवित हैं !
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