इमर्जेन्सी के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार गिर गयी थी। इंदिरा गांधी की सत्ता पुनः स्थापित हो चुकी थी। देश की जनता के पास कांग्रेस और गांधी परिवार का कोई विकल्प नहीं था। लेकिन समय इस कदर करवटें बदल रहा था कि इस एक दशक में गांधी परिवार के दो मुख्य कर्णधार चल बसे। संजय गांधी की हवाई दुर्घटना में मृत्यु और इंदिरा गांधी की हत्या ने सभी समीकरण बदल कर रख दिए। क्या देश एक नया विकल्प, एक नया नेतृत्व तलाशेगा? क्या गांधी परिवार दो फाँक में बाँट जाएगी? क्या कल की राजनीति आज का भेद खोलेगी? क्या जनता पार्टी की सरकार किसी और रूप में पुनः लौटेगी? क्या भारत का सबसे युवा प्रधानमंत्री उसी नियति का शिकार होगा, जिसका शिकार अमेरिका का संबसे युवा राष्ट्रपति हुआ था? अस्सी का दशक देश की राजनीति का एक रहस्यमय दशक है, जिसे हम जान कर भी अक्सर भूल जाते हैं। लेकिन, इतिहास आख़िर भेष बदल कर लौटता है। आने वाले कल की ग़लतियाँ बीते हुए कल के पन्नों में छुपी होती हैं। और भविष्य की रोशनी भी कहीं दूर इतिहास के गलियारों से आती है। उन्हीं चिराग़ों और उन्हीं पन्नों को तलाशेंगे इस ऑडियोबुक के बहाने।
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