वो कहते हैं ना- प्रेम हवाओं के रुख को मोड़ देता है, प्रेम मौसमों के अहसास को बदल देता है. प्रेम बेजान शरीर में भी जान डाल देता है... प्रेम निराशा को भी आशा में बदल देता है. लेकिन क्या ये प्रेम शिखा को भी अपने रंग में रंग पायेगा? मशहूर न्यूज एंकर शिखा पति से मिले धोखे के बाद अपनी बेटी के साथ अलग रह रही होती है. तभी उसकी ज़िंदगी में फागुन की बयार की तरह आता है उससे 10 साल छोटा नमित. शिखा की गुमसुम सी दुनिया में हलचल मचाने उसकी बेरंग ज़िंदगी में रंग भरने… लेकिन एक बार टूटकर बिखर चुकी शिखा के लिए क्या इतना आसान था 10 साल छोटे नमित का हाथ थामना? क्या वो नमित प्रेम को समझ पायेगी? क्या उनका इश्क़ मुक्कमल हो पायेगा?
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