छायावादी युग के प्रमुख कवियों में जयशंकर प्रसाद का नाम अग्रणी है। प्रसाद की कामायनी आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है। महाकाव्य चिंता से शुरू होकर आनंद तक 15 सर्गों में जीवन को एक दार्शनिक विस्तार देने की प्रसाद की कोशिश अनुपम है। कामायनी में जीवन की अब तक की मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक विकास की गाथा व्यक्त की गई है। हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर, बैठ शिला की शीतल छाँह एक पुरुष, भीगे नयनों से, देख रहा था प्रलय प्रवाह। नीचे जल था ऊपर हिम था, एक तरल था एक सघन, एक तत्व की ही प्रधानता, कहो उसे जड़ या चेतन।
छायावादी युग के प्रमुख कवियों में जयशंकर प्रसाद का नाम अग्रणी है। प्रसाद की कामायनी आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है। महाकाव्य चिंता से शुरू होकर आनंद तक 15 सर्गों में जीवन को एक दार्शनिक विस्तार देने की प्रसाद की कोशिश अनुपम है। कामायनी में जीवन की अब तक की मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक विकास की गाथा व्यक्त की गई है। हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर, बैठ शिला की शीतल छाँह एक पुरुष, भीगे नयनों से, देख रहा था प्रलय प्रवाह। नीचे जल था ऊपर हिम था, एक तरल था एक सघन, एक तत्व की ही प्रधानता, कहो उसे जड़ या चेतन।
Dieser Download kann aus rechtlichen Gründen nur mit Rechnungsadresse in A, D ausgeliefert werden.