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Kore Kaghaz (MP3-Download) - pritam, Amrita
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एक युवा मन में कितनी कातरता, कितनी बेचैनी उभरकर आयी है, इसका अनुमान आप उपन्यास प्रारम्भ करते ही लगा लेंगे। चौबीस वर्षीय पंकज को जब यह पता चलता है कि उसकी माँ उसकी माँ नहीं है, तब अपने असली माँ- बाप को जानने की तड़प उसे दीवानगी की हदों तक ले जाती है। ये क़िताब इस बात का पुख़्ता सबूत है कि मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम के लेखन में न सिर्फ़ भावनात्मक गहराई थी बल्कि शब्द-शिल्प का अपार कौशल भी था. इसे ऑडियोबुक बनाने के लिए आवाज़ दी है भावना पंकज जी ने। उनके वाचन ने इस क़िताब को वो रंग दिया है, जिसमें अपने शब्दों को भीगा देख कर अमृता जी बेहद ख़ुश होतीं।तो अब "कोरे काग़ज़"आप सुनने वालों के हवाले!

Produktbeschreibung
एक युवा मन में कितनी कातरता, कितनी बेचैनी उभरकर आयी है, इसका अनुमान आप उपन्यास प्रारम्भ करते ही लगा लेंगे। चौबीस वर्षीय पंकज को जब यह पता चलता है कि उसकी माँ उसकी माँ नहीं है, तब अपने असली माँ- बाप को जानने की तड़प उसे दीवानगी की हदों तक ले जाती है। ये क़िताब इस बात का पुख़्ता सबूत है कि मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम के लेखन में न सिर्फ़ भावनात्मक गहराई थी बल्कि शब्द-शिल्प का अपार कौशल भी था. इसे ऑडियोबुक बनाने के लिए आवाज़ दी है भावना पंकज जी ने। उनके वाचन ने इस क़िताब को वो रंग दिया है, जिसमें अपने शब्दों को भीगा देख कर अमृता जी बेहद ख़ुश होतीं।तो अब "कोरे काग़ज़"आप सुनने वालों के हवाले!

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