मंदिर, हनुमान जी, मंगलवार, शनिवार का प्यार में बहुत महत्व होता था। यह अलग बात है कि इस कहानी में मंदिर के साथ शुक्रवार का संयोग बना है। मंदिर पवित्र प्रेम का पहला मिलन स्थल होता था। ईश्वर को साक्षी मानकर कई बार लड़के-लड़की मंदिर में शादी तक कर लेते थे। लेकिन इस कहानी में ऐसा कुछ नहीं है। नायिका का व्रत है और नायक का प्रसाद माँगने पहुँचने की भूमिका।
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