प्रेम में सखियों का बड़ा महत्व होता था। सखी ही बाधा को पार करना सिखाती थी। अगर सखी अनुभवी हो तो ऐसे मौक़ों पर वह अनुभव मदद माँगने गई सखी के काम आता था। प्रेम होता दो में था लेकिन अक्सर तीसरे के बिना उसका आगे बढ़ पाना संभव नहीं हो पाता था। संकट से उबरने के लिए नायिका सुमन ने अपनी सबसे प्रिय सहेली को याद किया। उसने याद किया और सहेली मधुलिका दौड़ी चली आई!
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