कई बार पिकनिक का बुनिया बनाता कोई और था खा कोई और जाता था। भंग कोई और खाता रंग कोई और जमा लेता। सुमन की प्रेम कहानी मनोज बाबू के साथ जब सुलझती दिखाई देने लगी तो वहीं से वह उलझती दिखाई देने लगती है। कहा ही गया है जब जब जो जो होना है तब तब सो सो होता है।
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