कथाकर "निर्मल वर्मा" की साहित्यिक संवेदना एक "जादुई लालटेन "की तरह पाठकों के मानस पर प्रभाव डालती हैं। "लाल टीन की छत" यह कथा बचपन के अंतिम कगार से किशोरावस्था के ऐसे रूख पर फ़ोकस करती हैं जहाँ पहाड़ोंके अलावा कुछ भी स्थिर नहीं हैं।इस उपन्यास मैं "काया" नाम की एक ऐसी लड़की हैं जो सर्दी की लंबी सुनी छुट्टियों मैं इधर - उधर भटकती हैं। और अपने स्मृतियों की गूँजलक को खोलती रहती हैं। वह उम्र के ऐसे मोड़ पर खड़ी हैं जहाँ बचपन छूट चुका हैं।और आने वाला कल अनेक संकेतो और रहस्यों - संदेशो से भरा हुआ हैं। लेकिन यह एक अकेली लड़की की कहानी नहीं, बल्कि अकेली पड़ गयी संवेदना की कहानी हैं जहाँ पात्र अपने-अपने अँधेरे व्यक्तिगत कोनों में भटकते रहते हैं। (C) 2018 Vani Prakashan
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