गाँव-गलियों की पगडंडियों से आबाद होते महानगर तक की एक गवई कहानी जिसमें गाँव के माटी की सौंधी खुशबू मिलेगी, तो वहीं संघर्षों की चरणबद्ध शृंखला आपको रोमांचित और भावुक करने के लिए पर्यात्त है। सामाजिक बिडंबनाओं पर आधारित यह उपन्यास नंदन के बचपन के संघर्षों से शुरू होकर पिता बनने तक के सफर की कहानी है। नंदन के बाल्यकाल से ही शुरू हुआ झंझावतों का सफर श्याम जैसा आदर्श पुत्र पाकर कहीं-कहीं ठहरता हुआ दिखाई देता है तो वहीं राम जैसे आधुनिक पुत्र की वजह से कही व्यथित भी करता है। 'लव यू पापा' पिता और पुत्र के बीच की वह कड़ी है जिसमें एक पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार देने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देता है, लेकिन एक पुत्र का अपने पिता से यह पूछना कि आपने मेरे लिए किया क्या है-यह वेदना एक पिता ही महसूस कर सकता है। ग्रामीण जीवन और परिवेश से निकलकर महानगर तक का सफर तय करने में आपके चेहरे पर तनिक भी निराशा का भाव नहीं दिखाई देगा। यह उपन्यास आपको रोमांचित करने के साथ-साथ भावुकता के अतल गहराइयों में ले जाएगा। साथ ही प्रेरणा, संघर्ष, रोमांच और जीवन मूल्यों के आदर्श को स्थापित करेगा।
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