संस्मरणात्मक पुस्तक 'लखनऊ मेरा लखनऊ' में मनोहर श्याम जोशी ने लेखन के लिए प्रेरित करनेवाले के रूप में लखनऊ विश्वविद्यालय में अपने साथ पढ़नेवाले एक मित्र सरदार त्रिलोक सिंह और उनके पहले गुरु अमृतलाल नागरजी का उल्लेख किया है।
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