इस एपिसोड में एक रेलयात्रा के दौरान जुम्मन मियाँ की मुलाक़ात कैंसर के मरीज़, मोहन मिथिलेश से होती है. उनको देखकर जुम्मन को मुरली बाबा की याद आती है जो उन्हें बचपन में कहानियाँ सुनाया करते थे. मोहन मिथिलेश को जब अपनी रिपोर्ट आने के बाद कैंसर के लॉस्ट स्टेज में होने का पता चलता है तो वो घर वालों को बिना बताए मुक्तिधाम के लिए रवाना हो जाते हैं. जुम्मन मियाँ से मिलने के बाद मोहन की ज़िंदगी और सोचने के तरीके में क्या बदलाव आए? कैसा रहा उनका सफर?
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