हरेक की जिंदगी में ऐसा कुछ होना ही चाहिए कि वो जिंदगी का हिस्सा बेशक न बन पाये पर एक खुशनुमा एहसास की तरह ताउम्र साथ रह जाये। यह किताब भी उसी एक हसीन लम्हे के बारे में है जहाँ हठात दो किरदारों को एक मौज तोहफे में मिली, एक खूबसूरत खुशबूदार परफ्यूम की बोतल के रूप में, जिसे खोलते ही उनकी जिंदगानियाँ उस मादक महक से ऐसी सराबोर हुईं कि वे सुधबुध खोकर उसमें डूबने-उतराने लगे। दो जिंदगियाँ ऑनलाइन होकर रह गईं, बस यहीं से यह किताब लाइन पर आई। पढ़ते हुए अगर आखिर में आप एक लंबी साँस खींचकर इस महक को काफी देर तक के लिये अपने अंदर महफूज़ रखना चाह रहे हैं या अपनी यादों के संदूक से पुरानी परफ्यूम की शीशी निकालकर एक बार फिर उसे सूँघकर उसकी महक को महसूस करना चाह रहे हैं तो समझिये इस किताब को लिखने का लेखिका का मकसद पूरा हुआ। लेखिका की दुआ है कि हैरी-सोणियो की तरह आपके हिस्से में भी कोई परफ्यूम की शीशी जरूर आए, कुछ देर के लिये सही पर आपको भी चारों ओर बिखरे बदबूदार माहौल से निजात तो मिले।
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